सुरेश कुमार
शिमलाः देवभूमि हिमाचल प्रदेश की धरती पर वर्ष भर के दौरान मेलों का आयोजन चलता रहता है। इनमें से अधिकतर मेले तो ऐसे हैं जो केवल खंड, ज़िला व राज्य स्तर पर ही आयोजित किए जाते हैं। इसके अलावा कुछेक मेलों ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। प्रदेश के होने वाले अंतर्राष्ट्रीय मेलों की श्रेणी में कुल्लू का ऐतिहासिक दशहरा, चंबा में मिंजर, मंडी की शिवरात्रि और रामपुर में लवी मेले विख्यात हैं और इन सभी का अपना ऐतिहासिक महत्व भी है।
इनमें से शिमला से करीब 135 किलोमीटर दूर स्थित रामपुर में आयोजित होने वाला अंतर्राष्ट्रीय लवी मेला भी काफी प्रसिद्ध है। प्रतिवर्ष कार्तिक मास की 25वीं तिथि (11 नवंबर) को आरंभ होने वाला यह भव्य मेला पिछले लगभग 300 वर्षों से मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह उत्सव भारत-चीन की मैत्री संधि के उपलक्ष्य में आयोजित किया जाता रहा है।
चार दिनों तक चलने वाले इस आयोजन को व्यापार मेले की संज्ञा भी दी जाती है, क्योंकि इस दौरान यहां व्यापारिक गतिविधियां भी काफी अधिक मात्रा में होती हैं। हर वर्ष मेले की शोभा बढ़ाने और व्यापार करने के उद्देश्य से देश-विदेश के व्यापारी यहां पहुंचते हैं और अपने उत्पाद बेचते हैं। कालांतर में अब तिब्बती व्यापारी भी व्यापार करने की दृष्टि से इस मेले
की ओर रुख करने लगे हैं और मेले के दौरान यहां पहुंच जाते हैं।
लवी मेले में चीन देश से पशम की ऊन, क्रॉकरी, जूते व अन्य सामान यहां पहुंचाया जाता है, जिसकी मेले में आए लोग जमकर खरीददारी करते हैं। जनजातीय ज़िले किन्नौर के लोग भी पारंपरिक दोहडू, ऊनी पट्टी, किन्नौरी टोपियां, शॉलें एवं ऊनी वस्त्र इत्यादि का व्यापार करते हैं। इसके अलावा सूखे मेवे, चिलगोज़ा, बादाम, अखरोट, मीठी खुमानी और अन्य उत्पादों का भी व्यापक स्तर पर व्यापार किया जाता है।
इस वर्ष 11 से 14 नवंबर तक आयोजित किए जाने वाले इस मेले का शुभारंभ राज्यपाल उर्मिला सिंह ने किया। उन्होंने इस दौरान विभिन्न विभागों द्वारा लगाई गई विकासात्मक प्रदर्शनियों का भी अवलोकन किया। मेले में राज्य के उद्यान, कृषि, हिम ऊर्जा, बिजली बोर्ड लिमिटेड सहित अनेक विभागों व निगमों द्वारा अपनी प्रदर्शनियां लगाई गई हैं।