रेजिडेंशियल इंटरनेशनल फेस्टिवल फॉर थिएटर (DRIFT) मात्र एक आयोजन ही नहीं एक प्रयोग भी है। यह थिएटर फेस्टिवल, पिछले तीन वर्षों से धर्मशाला में स्थानीय स्कूलों के साथ प्रदर्शन, कार्यशालाएं और वार्ता के साथ साथ आउटरीच प्रोग्राम भी आयोजित कर रहा है।
1-4 मार्च को धर्मशाला में आयोजित किये जा रहे ‘DRIFT 2018’ की कलात्मक निर्देशिका निरंजनी ऐय्यर का कहना है कि थिएटर अभी भी दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहरों तक सीमित है। DRIFT के आयोजन का मकसद थिएटर को छोटे शहरों तक पहुँचाना और थियेटर को बढ़ावा देना है।
विदेशी कलाकार भी ले रहे हैं भाग
धर्मशाला के अलावा, इस वर्ष कुछ विदेशी थियेटर ग्रुप भी DRIFT 2018’ में हिस्सा ले रहे हैं, जिसमें अर्जेंटीना, कोरिया प्रमुख हैं। साथ ही पांडिचेरी, दिल्ली जैसे शहरों के थियेटर ग्रुप भी इसमें अपनी प्रस्तुति देंगे। इस बार पाँच लघु नाटक प्रस्तुत किये जायेंगे, और हर नाटक का दो बार मंचन होगा।
DRIFT की शुरुआत करने से पहले निरंजनी ऐय्यर ने फ्रांस में पढ़ाई की और वहीँ पर 13 वर्ष थिएटर भी किया है, जहाँ पर उन्होंने बतौर थिएटर टीचर, एक्टर, डायरेक्टर, डांसर के रूप में कार्य किया है। वे 2012 से नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (दिल्ली) में भी बतौर विज़िटिंग फैकल्टी के रूप में कार्यरत हैं।
देश में इस तरह की शुरुआत के लिए धर्मशाला को ही चुनने पर उन्होंने कहा, “धर्मशाला में थिएटर की अपार संभावनाएं हैं। खासकर, यहां पर एक अलग तरह का माहौल है, जो यहां होने वाली थिएटर को एक अलग महत्व प्रदान करता है। धर्मशाला की प्राकृतिक सुन्दरता इसमें चार चाँद लगाने का काम करती है। मुझे विश्वास है कि आने वाले समय में थिएटर और प्रकृति का यह संगम, थिएटर के दर्शकों को आकर्षित करेगा और थिएटर के सीमित दर्शकों में वृद्धि होगी।”
धीमी रही शुरुआत
शुरूआती दौर में DRIFT को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा, जिसमें आर्थिक, जगह, खासकर दर्शकों की कमी हमेशा से रही।
इस फेस्टिवल का आयोजन पहली बार 2016 में किया गया और जो धीमी गति का रहा और न ही दर्शकों की संख्या देखने को मिली।
ऐय्यर के अनुसार, प्रथम DRIFT में लगभग 120 दर्शकों की संख्या रही होगी। “लेकिन वो पहली बार था, तो इतना बुरा भी नहीं था।”
उल्लेखनीय है कि ‘ड्रिफ्ट 2018’ चार दिनों तक चलेगा, जो 2017 में सिर्फ दो दिन चला था।
स्कूलों के साथ मिलकर किया जा रहा है आयोजन
इसको और ज्यादा लोगों तक पहुँचाने के लिए DRIFT के संयोजकों ने सरकारी स्कूल में वर्कशॉप करना शुरू किया। इस वर्कशॉप में एक्टिंग, स्टेज मनेजमेंट, लाइट मेनेजमेंट, साउंड मैनेजमेंट, नाटक लेखन आदि थियेटर के बारे में सिखाया जाता है। “ज़्यादातर वर्कशॉप में केवल एक्टिंग ही सिखाई जाती है। हमने प्रयास किया कि हम उससे आगे बढ़कर उसके दूसरे पहलुओं को भी सिखाएं,” ऐय्यर ने बताया।
उन्होंने कहा “अगर यहाँ के लोग अपने आप को पेश करें तो बहुत अच्छी बात होगी। इस बार फेस्टिवल में कुछ लघु नाटक हैं जो धर्मशाला के लोगों ने लिखे हैं और इनकी झांकियां प्रस्तुत की जाएंगी। ये करना मुश्किल था क्यूंकि ये थिएटर प्रोग्राम करने के लिए उनके साथ कोई ऐसी संस्था साथ में नहीं है जो हमारी आर्थिक सहायता कर सके।”
पिछले दो वर्षों इस फेस्टिवल के संयोजक क्राउडफंडिंग द्वारा धन राशि जोड़कर इस फेस्टिवल का आयोजन कर रहे हैं। ऐय्यर कहती हैं “इसे हम पिछले दो वर्षों से खुद के पैसों से आयोजित करते रहे हैं और इस बार भी खुद के पैसों से ही इसका आयोजन कर रहे हैं। जिस कारण इसे अधिक बड़े स्तर पर नहीं कर पाते हैं।”
धन राशि की सहायता के लिए लगाई सरकार से गुहार
DRIFT ने इस बार हिमाचल सरकार को इस थिएटर प्रोग्राम को बड़े स्तर पर पहुंचाने के लिए आर्थिक रूप से सहायता करने की अर्ज़ी भी दी है। इसी प्रकार, भाषा एवं कला विभाग, और पर्यटन विभाग को भी इस फेस्टिवल को प्रोत्साहन देने हेतु अर्ज़ी दी है। ऐय्यर ने शिमला के गेयटी थिएटर की बात करते हुए कहा:
“शिमला का गेयटी थिएटर नाटकों व कलाकारों के लिए एक अच्छा मंच है। उसी प्रकार, धर्मशाला में भी एक बड़े मंच की आवश्यकता है।”
वे कहती हैं कि जब हिमाचल इतना बड़ा है तो यहाँ के शहरों में एक-एक थिएटर होना बहुत ज़रूरी है ताकि लोगों को अपनी प्रतिभा को मंच पर दिखाने का मौका मिल सके। साथ ही बहुत से ऐसे प्रतिभावान बच्चे हैं जिन्हें अपनी कला को निखारने की जगह नहीं मिल पाती है। “उन्हें आगे कोई स्थान मिल पाए, इसके लिए स्कूलों में भी इस तरह की कक्षाएं आयोजित होनी चाहिए। इसके अलावा उनकी भाषा व बोलने के कौशल, और सामूहिक रूप से काम करने की भावना को भी बढ़ावा मिलता है। थिएटर बहुत ही अच्छी कला है,” ऐय्यर ने कहा।
धन राशि के अभाव को पीछे रखते हुए निरंजनि ऐय्यर इस फेस्टिवल को दीर्घावधि प्रोजेक्ट मान कर चल रही हैं। इस परियोजन में उनकी साथी, रूमानी, स्कूली बच्चों को ट्रेनिंग प्रदान कर रही हैं।
पूरे वर्ष चलती हैं DRIFT की गतिविधियाँ
DRIFT यों तो इस वर्ष 1-4 मार्च को मनाया जायेगा, परन्तु इसकी गतिविधियाँ पूरे वर्ष चलती रहती हैं, जिसमें पब्लिक रीडिंग प्रमुखता से शामिल है। इसके अलावा फोल्क-टॉक, ह्यूमन आइडेंटिटी, लोकल राइटिंग, द्वारा स्थानीय लेखकों को बढ़ावा दिया जाता है। ये कार्यक्रम कैफ़े, रेस्ट्रोरेन्ट जैसे जगहों में आयोजित किये जाते हैं और ये ज़्यादा महंगे भी नहीं होते। इस बात का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं कि DRFIT 2018 की टिकट केवल रू० 50 की है।
ऐय्यर की कोशिश है कि अगली वर्ष पूरे हिमाचल से कलाकार इस फेस्टिवल में भाग लें।
धर्मशाला है दूसरा प्यार
धर्मशाला से पहले निरंजनी ऐय्यर इस तरह के फेस्टिवल फ़्रांस में भी कर चुकी हैं । उन्होंने बताया कि उनके माता-पिता चाहते थे कि वे डॉक्टर या इंजिनियर बनें, लेकिन इनकी दिलचस्पी सिर्फ थिएटर में थी। थिएटर के बाद अगर इन्हे कुछ विशेष लगता है, वह है धर्मशाला। “मैं यहाँ पहले घूमने आया करती थी। फिर यहाँ पर दोस्त बनने लगे। फिर उनसे मिलने और दलाई लामा के लेक्चर सुनाने आती थी। बस इसी तरह मैं धर्मशाला से जुड़ी गई और अब मुझे 20 साल हो गये हैं यहाँ रहते हुए।”
उनका मानना है कि कहानियां बहुत अच्छी होती हैं और सिनेमा सिर्फ सिनेमा होता है। अगर कहानियों को नाटक के रूप में मंच पर देखा जाए तो उसमें चार चाँद लग जाते हैं।
DRIFT के साथ साथ ऐय्यर ‘फ्रेंड्स ऑफ़ ड्रिफ्ट’ का भी सञ्चालन करती हैं, जिसका मकसद लोगों को साथ जोड़ना है और एक-दूसरे की मदद करना है।
विश्व थिएटर दिवस की भी चल रही है तैयारी
DRIFT 2018 के ख़तम होते ही ऐय्यर 27 मार्च को मनाए जाने वाले विश्व थिएटर दिवस की तैयारियों में जुट जाएँगी। इसके लिए वे धर्मशाला में बच्चों के लिए थिएटर फेस्टिवल करना चाहती हैं। उन्होंने कहा, “हमारी कोशिश रहेगी कि हम धर्मशाला के अधिक से अधिक स्कूलों को अपने साथ जोड़ सकें। इस फेस्टिवल दौरान वर्कशॉप और नाटक की प्रस्तुति रहेगी।”