यूँ तो वैलेंटाइन्स डे प्यार का दिन है। परन्तु कितने ही प्रेमी अपने दिल की बात दिल में ही दबा जाते होंगे, क्यूंकि वे जातिवाद को लेकर सचेत रहते हैं और मान लेते हैं कि या तो दूसरा व्यक्ति उनकी जाति के कारण उनके प्यार को स्वीकार नहीं करेगा या फिर समाज उनके प्यार में जाती का पहाड़ ला कर खड़ा कर देगा। जातिवाद आज भी हमारे समाज की कड़वी सच्चाई है जिसके बारे में हम खुल के बात नहीं करना चाहते।
इसी कुरीति को उजागर करते हुए करसोग स्थित रूद्रा प्रोडक्शन ने चार-मिनट की लघु-फिल्म — अननोन मैसेज — यूट्यूब पे रिलीज़ की है। इस फिल्म में कोई भी संवाद नहीं है। परन्तु, बिना कुछ कहे ही ये फिल्म बहुत कुछ कह जाती है और समाज से कई सवाल पूछती है।
इस विडियो में एक छोटी सी प्रेम कहानी बताई गयी है जिसमे जातिवाद के कुप्रभाव को दर्शाया गया है कि किस तरह से एक ही जाति के न होने की वजह से एक दूसरे से मिलना और बातचीत करना बंद कर दी जाती है।
फिल्म के सिनेमाटोग्राफर रोहित कुमार ने हिमवाणी को बताया कि उनका “इस वीडियो को दिखाने का अहम् मकसद लोगों की संकीर्ण मानसिकता में परिवर्तन लाना है ताकि हमारे समाज से जातिवाद जैसी समस्या को जड़ से समाप्त किया जाए, तथा सभी लोग आपस में एकजुट होकर रहें।”
वैलेंटाइन्स डे पर क्यों रिलीज़ की फिल्म
रूद्रा प्रोडक्शन ने वैलेंटाइन्स डे का दिन ही इस फिल्म को रिलीज़ करने के लिए चुना। “इस विडियो को वैलेंटाइन्स डे के दिन इसलिए निकाला गया ताकि ज्यादा से ज्यादा लोंगो में इस सन्देश को पहुँचाया जाए कि आज भी इतना विकसित होने के बावजूद जातिवाद हमारे समाज में कहीं न कहीं पनप रहा है।”
जाति प्रथा हिंदु समाज में वयवहारिकता से जुड़ा है। जाति प्रथा बहुत हद तक पश्चिमी अवधारणा जैसी है जहाँ लोगों के साथ भेदभाव उनके शरीर के रंग के कारण होता है। इसी तरह जाति प्रथा में भेदभाव जन्म के आधार पर किया जाता है। साधारण शब्दों में कहें तो व्यक्ति के जन्म के समय ही निश्चित होता है कि वो समाज की इस कुरीति का उच्च या निम्न स्तर से सम्बन्ध रखेगा।
ये बहुत शर्म की बात है कि, अब 21वी शताब्दी में भी और इस युग और समय में जबकि मानव समाज ने वैज्ञानिक तौर पर इतनी तरक्की कर ली है, भारतीय समाज अब भी जाति प्रथा जैसी प्राचीन व्यवस्था में विश्वास रखता है।
यहाँ पर यह बात कहना गलत नहीं होगी कि इस व्यवस्था को बदलने में नौजवानों, युवाओं को विशेष पहल करने की जरूरत है। क्यों कि बदलाव पीढ़ियों में होते हैं। बजुर्ग बदल जायेंगे, ऐसा सोचना गलत होगा। कितनी विडंबना है कि हर प्रदेश अंतर जातीय विवाहों को कागजों में इनाम देने की बात करता है, मगर सामजिक रूप से इसको बदलने की पहल नहीं करता। इस बात को साबित करने के लिए रूद्रा प्रोडक्शन ने एक विडियो के द्वारा एक पहल की है।
इस फिल्म का निर्देशन सुशिल कुमार चौहान ने किया है।
Ultimate work meenakshi.
Great job Minakshi,,, well done nice story,,,
Minakshi doing such a grt work in the welfare of society awareness…
Keep it up menakshi whish a very bright future our blessings always with you
good article everything written by writer is very good. if everyone think like that then there can be change in society?
Gud job … Minakshi .. Bevare all the peoples about this problem
Very good meenu … Best wishes
Our saints made tremendous efforts to curb the menace of castism from the hindu society. Still we are on the same track. I have visited many place in himachal… The system has not changed here. The educated people should come and raise the voice… thanks Meenakshi for puttinh this artcle… Stay blessed
Plz this article. This is also respnse to ur article on tattoos..
Al Jazeera : In the name of Ram: Tattoos in India’s Dalit community http://aje.io/hkyv
Great job done by meenakshi….it is a real thing…all is written is truth…..keep it up…all d best…..
I shud appreciate…u
I liked your story
Great?
Its an amazing story . Really the work is very good as well as all the articles written by the writer .
We divided ourselves among caste, creed, culture and countries but what is undivided remains most valuable: a mere smile and the love.
Good work meenakshi.. its good to see you growing everyday.. keep up the good work
Unprecedented one good
I had never imagined that you would emerge like this.keep it up meenu…
This is very valuable thing shared, I thanked the writter and all
Nice dee……keep it up
Nice di keep it up…. ??
You set a high bar with this one.
Well done..
Applause ?
Nice
That’s wonderful. Many things to learn .Thanks for sharing I really liked it
जातिवाद इंसानों के द्वारा बनाई एक ऐसी दिवार है जो कई रिश्तो को आर पार कर देती है , सिर्फ प्यार ही नहीं ऐसे और भी कई रिश्ते होते हैं जहाँ पर जातिवाद एक चुनौती बनकर उभरता है जहाँ तक मेरा ख्याल है भेदभाव या तो अभिमान से या फिर समाज में फैली कुरीतियों से या शिक्षा के आभाव स ही होता है.आधुनिक माँ बाप को चाहिए की अपने बच्चों की परवरिश में जातिवाद का ज़हर न घोले क्युकि नफरत सिर्फ और सिर्फ नफरत को ही जन्म देती है जबकि प्यार , प्यार को बढ़ाता है….आपका ये लेख सुंदर है मीनाक्षी जी इसमें कोई दो राय नहीं
Really Meaningful contend,Worth reading,Doing such an effort by that too for welfare of our society ,Nice thoughts and nice work…
Writer
Meenakshi
Wow Meenakshi awesome. U are doing really good job
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