राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT) हमीरपुर की टीम रेवंत, पिछले चार वर्षों से फॉर्मूला-1 (F1) स्टाइल की कार बनाने में जुटी है। आर्थिक अभाव के चलते, अब टीम ने क्राउडफंडिंग का सहारा लिया है, जिसके तहत वे रूपए 2,00,000 एकत्रित करने की उम्मीद रखते हैं।
NIT के इन छात्रों का लक्ष्य एक कुशल, टिकाऊ, सस्ती, और सबसे तेज़ F1 कार का निर्माण करना है।
विद्यार्थी कर रहे हैं स्वयं आर्थिक योगदान
पच्चीस-सदस्या की टीम रेवंत के कप्तान विनायक शर्मा ने हिमवाणी से हुई बातचीत में बताया कि इस कार को बनाने में लगभग रूपए 5,00,000 तक की राशि का ख़र्चा आया है । “इतनी अधिक राशि न ही हमें कॉलेज प्रदान कर पाता है, और न कोई निवेशक। इस कारण से इस प्रोजेकट को पूरा करने के लिए हम विद्यार्थियों को ही अपना योगदान देना पड़ता है,” शर्मा ने कहा।
क्राउडफंडिंग, टीम रेवंत के लिए, न केवल फंडिंग का ज़रिया है, अपितु वह इस माध्यम से अपने प्रोजेक्ट के बारे में अधिक से अधिक लोगों को जानकारी भी प्रदान करना चाहती है, ताकि कोई बाहरी निवेशक उनका जुनून देख कर कोई आर्थिक सहायता ही कर डाले।
क्राउड-फंडिंग, किसी नेक काम के लिए धन इकठ्ठा करने का काफी पुराना तरीका है, परन्तु इंटरनेट के आ जाने से आप ऑनलाइन जा कर दुनिया भर तक अपनी योजना को पहुंचा सकते हैं और दुनिया भर से धन एकत्रित कर सकते हैं।
NIT हमीरपुर के इन छात्रों ने पिछले वर्ष भी क्राउडफंडिंग का सहारा लिया था, और अपने रूपए 2,00,000 के लक्ष्य में से केवल रूपए 70,000 ही जोड़ पाई थी। उन्हें उम्मीद है कि इस वर्ष वे इस राशी में बढ़ौतरी देखेंगे ।
इस लेख के लिखने तक, टीम रेवंत इस वर्ष केवल रूपए 400 ही जोड़ पाई है। अभी इस क्राउडफंडिंग के 38 दिन और शेष हैं।
सुपरा एस ए ई इंडिया में सुधारना चाहते हैं रैंक
NIT की यह टीम 2014 से, सोसाइटी ऑफ़ ऑटोमोटिव इंजीनियर्स (एस ए ई) द्वारा अयोजित, SUPRA SAE India (सुपरा एस ए ई इंडिया) रेस में भाग ले रही है। सुपरा एस ए ई इंडिया, भारत के इंजीनियर छात्रों के लिए सबसे बड़ी आयोजित फॉर्मूला प्रतियोगिता है। इसमें देश भर के इंजीनियर छात्र अपनी बनाई फॉर्मूला कार का प्रदर्शन के साथ-साथ दौड़ में भी उतारते हैं।
इस टीम ने प्रथम वर्ष 89 टीमों मे से 65वां स्थान हासिल किया था, और दूसरे वर्ष में 122 टीमों में 59वां स्थान ग्रहण किया था। लेकिन तीसरे वर्ष में भारी तकनीकी दोषों और समय प्रबंधन की कमी के कारण, उनके रैंक में भारी गिरावट आई थी और वे 119 टीमों में से केवल 106वां स्थान ही ग्रहण कर पाए।
इस विषय पर और प्रकाश डालते हुए शर्मा ने बताया, “पिछले वर्ष हम केवल प्रतिस्पर्धा के एक सप्ताह पहले ही कार को उसका अंतिम स्वरूप दे पाए थे। जिसके कारण हमारे पास कार को जांचने के लिए पर्याप्त समय नहीं बच पाया था और दंड के रूप मे हमारे अंको को काटा गया था ।”
प्रतिस्पर्धा मे यह आवश्यक है कि कार को उसका अंतिम रूप दो महीने पहले ही दे दिया जाए, ताकि कार की जाँच की जा सके और कमियों को समय रहते पूरा किया जा सके ।
इस वर्ष टीम रेवंत फिर से बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट, ग्रेटर नॉएडा के मैदान में 11-16 जून, 2018 को आयोजित सुपरा एस ए ई इंडिया 2018, में पूरे दम-ख़म के साथ उतरना चाहती है, और उम्मीद रखती है कि वह अपना राष्ट्रिय रैंक पहले 50 में ला पाएगी।
शर्मा ने बताया कि इस वर्ष उनकी टीम ने इस प्रोजेक्ट को हर क्षेत्र — चाहे वह समय प्रबंधन हो या टीम प्रबन्धन, सरंचना हो या तकनीक — में उसे आधुनिक रूप प्रदान किया है ।
“हमने इस वर्ष कार की सरंचना और तकनीक में भी काफी फेर-बदल किए हैं। इस बार कार के इंजन में भी काफी बदलाव लाए गए हैं। हमने कार को आसानी से चलाने योग्य बनाया है और हमारी कोशिश है कि हम कम से कम लागत मे अच्छी कार का निर्माण कर सकें,” शर्मा ने कहा।
छोटे शहर के बड़े सपने
विनायक शर्मा, जर्मनी के फॉर्मूला रेसिंग चैंपियन माइकल शूमाकर को अपना आदर्श मानते हैं। “हम शूमाकर से व उनकी कार के निर्माण को बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट में देख चुके हैं, और चाहते हैं कि भविष्य में ऐसा ही कुछ कर पाएँ।”
शर्मा ने बताया कि उनके लिए उनकी टीम ही प्रेरणा स्रोत।
“NIT हमीरपुर देश के कोने में स्थित । पहले हमारे कॉलेज की कोई टीम नहीं थी जिसने राष्ट्रीय स्तर पे किसी प्रतिस्पर्धा में भाग लिया हो। हम दूर-दराज़ के छात्रों में कुछ कर दिखाने की ललक थी, इसलिए हमने अपने कॉलेज में रेवंत मोटरस्पोर्ट्स क्लब की स्थापना की।”
रेवंत: गति के उस पार, एक घुड़ सवार
रेवंत एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ गति का अंत करना निकलता है। भारतीय पौराणिक कथाओं में रेवंत सूर्य के एक पुत्र का नाम भी है जो कि गुह्यकों — किन्नर, गंधर्व, यक्ष आदि देवताओं की तरह की एक देव योनि जो कुबेर की संपत्ति आदि की रक्षा करती है — के अधिपति भी माने जाते हैं। रेवंत का एक और अर्थ — कुशल घुड़-सवार भी निकलता है।
रेवंत टीम के सदस्यों की जानकारी देते हुए विनायक ने कहा की सभी सदस्य देश के अलग-अलग राज्यों से सम्बंद रखते हैं जैसे हिमाचल, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड आदि । ये सभी सदस्य 18 से 22 आयु वर्ग के हैं । विनायक शर्मा के साथ तीसरे समेस्टर से 9 विद्यार्थी हैं जिसमें अरविंद सिंह, कार के विनिर्माण के मुख्य हैं। इनके साथ अजस्र आनंद, शैलेन्द्र सिंह, अरुण कुमार, अमन चौधरी, रोहित, अरविंद अग्रवाल और दीपांकर चौधरी हैं। कार के डिज़ाइन के मुख्य अनिमेश साहू हैं और इनकी टीम में शिखर पार्थासार्थी, विशाल चौहान और अक्षय ठाकुर हैं ।
रेवंत टीम का लक्ष्य है कि वह अपनी गिरती हुई रैंकिंग को स्थिर करे, ताकि उसे वित्तीय निवेशकों की कमी का सामना न करना पड़े । शर्मा ने बताया कि “टीम का प्रयास रहेगा कि हम भविष्य में अपनी रैंकिंग को और ऊपर ले जाएं।”
उन्होंने बताया कि सुपरा एस ए ई इंडिया इंजीनियर छात्रों को अपनी प्रतिभा दिखने का एक बहुत अच्छा मंच है।
“यहाँ पूरे देश के प्रतिभाशाली इंजीनियर आते हैं और कार का निरीक्षण करते हैं और उसमें सुधार के लिए सुझाव भी देते हैं ।”
हिमवाणी, टीम रेवंत को शुभकामनाएं प्रदान करता है, और उम्मीद रखता है कि यह टीम NIT हमीरपुर और हिमाचल का नाम रौशन करेगी।
अगर आप टीम रेवंत के इस प्रोजेक्ट के लिए क्राउडफंडिंग द्वारा योगदान करना चाहते हैं, तो यहाँ कर सकते हैं।