टैटू यानी कि शरीर पर रंगो से गोदना, पहले जहाँ-तहाँ किसी मेले-खड़े में ही नज़र आते थे, वहीं आज इसका प्रचलन इतना बढ़ता जा रहा है कि शिमला जैसे छोटे शहर में भी अब 5-6 टैटू पार्लर खुल चुके हैं। जहाँ पहले कोई ‘ॐ’ लिखा कर ही संतुष्टि पा लेता था, वहीं आज की युवा पीढ़ी इंटरनेट से अलग से अलग डिज़ाइन उतार कर गोदन करवा रही है।
किसी के लिए टैटू अगर फैशन है तो किसी के लिए दीवानगी। दूसरी तरफ कुछ श्रद्धालु अपने देवी-देवताओं को समीप रखना चाहते हैं, तो वहीं कुछ लोग अपने प्रिये जनों के प्रेम में या याद में उनका नाम अथवा तस्वीर गोदान करवाते हैं।
हिमाचल में भी बढ़ रहा है टैटू का क्रेज
डेथकोर टैटूज़ के मालिक अमन मास्टा के अनुसार शिमला में जहाँ 10 साल पहले टैटूज़ के प्रति इतना जोश नहीं था, वहीं आज बदलते समय के साथ, युवाओं की मानसिकता में भी फरक आया है और लोग बेझिझक टैटूज़ बनवा रहे हैं। दस साल पहले, इस कला के प्रतिलोगों में आकर्षण न होने के कारण, मास्टा अपनी दुकान समेट कर दिल्ली चले गए थे। परन्तु, बदलते परिवेश में वे शिमला लौट आए हैं।
सभी वर्ग बनवा रहे हैं टैटू
मास्टा के अनुसार आज की तारीख में सभी आयु वर्ग के लोग टैटू बनवाना चाहते हैं। “पहले जहाँ सिर्फ युवा लड़के ही टैटू कराते थे, आज, सभी आयु के लोग, और बिना किसी लिंग भेद के टैटू बनवा रहे हैं।”
आपको बता दें कि मास्टा व शिमला के अन्य टैटू कलाकार जिनसे हिमवाणी ने बात की है, वे 18 वर्ष से आयु के नीचे युवाओं के टैटू नहीं बनाते।
शिमला के लोअर बाज़ार स्थित टैटू ज़ोन के आर्टिस्ट, पेमा, जो इस व्यवसाय में पिछले 12 वर्षों से जुड़े हैं, के अनुसार उनके पास 19 से 45-वर्ष की आयु के लोग टैटू बनवाने आते हैं।
इंटरनेट ने लायी हिमाचल में टैटू के प्रचलन में तेज़ी
पेमा के अनुसार, शिमला जैसे छोटे शहर में टैटू के प्रचलन में इंटरनेट का बहुत बड़ा हाथ है। वो कहते हैं, “लोग इंटरनेट पर नए से नए डिज़ाइनज़ देखते हैं और उनकी नक़ल करवाना चाहते हैं।” उनके अनुसार उनके पास काफी लोग दूर-दराज़ से इंटरनेट पर जानकारी हासिल करके टैटू करवाने आते हैं। केवल डिज़ाइन ही नहीं, बल्कि सबसे नज़दीक टैटू पार्लर कौन सा है, और उसको लोगों ने क्या रेटिंग दी है और क्या समीक्षा की है, यह जानकारी भी लोग इंटरनेट द्वारा प्राप्त करके टैटू पार्लर का चयन करते हैं।
मास्टा के अनुसार,गोदन कलाकार इंटरनेट का इस्तेमाल न केवल अपने विज्ञापन के लिए कर रहे हैं, अपितु, टैटू करने के आधुनिक साजो-सामान इंटरनेट द्वारा विदेशों से मंगवा रहे हैं। “गोदन करना आज की तारीख़ में काफी सुरक्षित हो गया है, और ऐसे उपकरण आ गए हैं जिनसे दर्द न के बराबर होता है।”
परन्तु फिर भी सावधानी बरतना अति आवश्यक है। शिमला स्किन ग्राफ़िक्स के टैटू आर्टिस्ट राकेश कहते हैं:
“टैटू करवाने से पहले, आर्टिस्ट की प्रतिष्ठा जानना अति आवश्यक है। वह किस तरह के उपकरण का इस्तेमाल करता है और उसके काम की सफाई कैसी है।”
वे कहते हैं, कि टैटू कोई मेंहदी नहीं जो हफ्ते, दो हफ्ते में उतर जाएगी । अतः टैटू के सभी पहलुओं को ध्यान रखवा कर ही टैटू करवाना चाहिए। उनके अनुसार, उनके पास काफी युवा गर्दन पर टैटू करवाने आते हैं, और वे अपना फ़र्ज़ समझते हैं कि वे उनको एक बार अवश्य चेतावनी दे दें कि शरीर के खुले भाग में टैटू करवाने से, आगे जा के उनके व्यवसाय पर फरक पड़ सकता है।
लोग पैसे खर्चने से नहीं कर रहे है परहेज़
मास्टा के अनुसार दिल्ली की अपेक्षा शिमला में कम ही देखा गया है कि लोग अपने पूरे शरीर पर टैटू करवाते हैं। उसका एक कारण टैटू की कीमत भी हो सकता है, और दूसरा कारण शिमला का अभी भी फैशन के मामले में उतना प्रगतिशील न होना भी हो सकता है।
जहाँ पर पेमा के टैटूज़ का मूल्य रूपए 1,000 से शुरू हो कर 50,000 तक जाता है, वहीं राकेश के टैटूज़ का मूल्य रूपए 1,500 से शुरू होता है। मास्टा के अनुसार, उनका सबसे कीमती टैटू एक प्रवासी भारतीय के लिए था, जिसकी कीमत लाखों में थी और वो एक संकल्पना के रूप में बनाया गया था। मास्टा, विश्व के सबसे तेज़ पियानो प्लेयर, अमन भाटला, और गायक पलाश सेन जैसे कलाकारों के भी टैटू बना चुके हैं। उन्होंने, दिल्ली के सुपर फाइट क्लब लीग के चैंपियन, जेसन रमेश सोलोमन का भी टैटू बनाया है। भाटला की पीठ पर मास्टा ने भगवान शिव से जुड़े चिन्हों का टैटू बनाया था।
दिल्ली की तुलना में शिमला में टैटू बनाने की कीमत अभी काफी सस्ती है। मास्टा के अनुसार, दिल्ली में जहाँ एक 2-इंच का टैटू रूपए 4,000 से कम में नहीं बनता, वहीं ये शिमला में रूपए 1,000 से शुरू होते हैं।गोदन की कीमत उसकी जटिलता व रंगों से लगाई जाती है।
शिमला वासी हैं शिव के भक्त
मास्टा के अनुसार केवल भाटला ही नहीं, हिमाचल वासी भी शिव जी के भक्त हैं और शिवजी की छवि हिमाचल के लड़कों में काफी लोकप्रिय हैं। वहीँ पर महामृत्युंजय मंत्र और पञ्चाक्षरी मंत्र भी हिमाचली युवकों में काफी लोकप्रिय हैं। मास्टा कहते हैं:
“हिमाचल और दिल्ली के युवाओं में एक बहुत बड़ा अन्तर यह है कि, जहाँ पर दिल्ली में खोपड़ियाँ और शैतान के टैटू भी काफी प्रचलित हैं, वहीं हिमाचल में धार्मिक चित्रों की तरफ ज़्यादा रूझान है। यहाँ पर ‘फुकरापंथी’ वाले चित्र न के बराबर हैं।”
पेमा भी अमन मास्टा की इस बात से सहमत हैं। “शिमला शहर में लड़के शिवजी के काफी भक्त हैं। यहाँ पर ज़्यादातर लड़के शिवजी का चित्र बनवाते देखे गए हैं।” वो कहते हैं कि अजय देवगन की शिवाय फिल्म रिलीज़ होने के बाद शिवजी से जुड़ी चीज़ों के चित्र बनवाने में भी बढ़ौतरी देखी गयी है — जैसे की नाग, त्रिशूल, डमरू अदि।
क्या रहस्यवाद से जुड़ी है शिवजी की छवि?
अमन के अनुसार गोदन एक कला है। कुछ लोग इस कला को अधोलोक के गैंग्स से भी जोड़ कर देखते हैं। क्या यूँ तो नहीं कि शिवजी की आड़ में भाँग व चरस का नशा करने वाले भोले नाथ केगोदन करवाते हैं? मास्टा इस बात से पूरी तरह सहमत नहीं हैं। वे कहते हैं:
“हिमाचल में प्रारंभिक समय से शैव पंथ व शक्ति पंथ का प्रचलन रहा है। और शिव जी को समझना आसान नहीं है। वे जितने सरल हैं, उतने ही जटिल भी। कुछ लोग उन्हें मृत्यु से जोड़ कर देखते हैं, जब कि वे तो आदि और अंत और अनंत के परे हैं। वे मृत्यु नहीं, नवजीवन देले वाले हैं। युवा अवस्था में जहाँ अपने आप को जानने की, और इस ब्रह्माण्ड के रहस्य व संरचना को जानने की सभी में अधिक इच्छा रहती है, युवक शिवजी की इस जटिलता व रहस्यवाद से भी सम्मोहित होते हैं। यही बात है जो हिमाचली युवकों में शिवजी के टैटू को लोकप्रिय बनाती है।”
हालांकि, वे इस बात से भी इंकार नहीं करते की कुछ लोगगोदन के व्यवसाय को नशे की दुनिया से जोड़ कर देखते हैं। “मेरे पास काफी फ़ोन-कॉल्स आती हैं, जो पहले टैटू के बारे में पूछते हैं, फिर सीधे-सीधे नशे की उपलब्धता के बारे में भी पूछ डालते हैं। हम ऐसे ग्राहकों पर बहुत गुस्सा आता है और ऐसे लोगों को भगा देते हैं।”
राकेश कहते हैं, “क्यूंकि गोदन एक स्थायी कला है, इसे मिटाना अगर नामुमकिन नहीं, आसान भी नहीं नहीं है। इसे मिटाना बहुत महंगा साबित हो सकता है।” वे युवकों को सलाह देते हैं कि वे भावनाओं के आवेश में आ कर कभी भी गोदन न करवाएं।
लड़कियों में भी बढ़ रहा है गोदन का क्रेज़
पेमा के अनुसार जहाँ पर पुरुष शिवजी के अलावा दुर्गा, बुद्ध, कृष्ण, अपने माता-पिता का नाम व अपने बच्चों का चित्र बनवाना पसंद करते हैं, वहीं दूसरी तरफ महिलाएं, मयूर पंख, सितारा, तितली, और पक्षी जैसे चित्र बनवाना पसंद करती हैं।
अमन मास्टा के अनुसार, “काफी लड़के अपनी प्रेमिका का नाम भी गुदवाते हैं।दूसरी तरफ केवल शादी-शुदा महिलाएँ ही अपने पति का नाम गुदवाती हैं।”
दिल्ली में जहाँ पर अमन के पास काफी कुंवारी लड़कियां अपने प्रेमी का नाम लिखवाती थीं, वही शिमला में उनके पास अभी तक कोई भी लड़की अपने प्रेमी का नाम लिखवाने नहीं आई है।
मास्टा के अनुसार, केवल लड़के ही नहीं, शिमला में लड़कियाँ भी शिव जी की भक्त हैं और उनकी छवि का गोदन करवा रही हैं। “लड़के शिवजी को ज़्यादा तर उग्र रूप में देखते हैं, जैसे तांडव करते हुए, या औघड़ रूप में, या हलाहल पीते हुए; दूसरी तरफ लड़कियां ज़्यादातर शिवजी की शान्त छवियाँ — जैसे योग मुद्रा में, अथवा शिव परिवार के साथ — पसंद करती हैं।”
कमर पे गुदवाना करती हैं पसंद लड़कियां
यूँ तो काफी ग्रामीण बुज़ुर्ग महिलाओं के हाथों व कलाई में गोदन देखे जा सकते हैं, परन्तु हिमाचल के शहरों में, महिलाओं में गोदन का चलन, 10-15 साल पहले शून्य के बराबर था। परन्तु, आज, पेमा, राकेश और अमन के अनुसार, उनके 10 ग्राहकों में से 3 महिलाएं होती हैं, और गोदन केवल हाथ व कलाई तक सीमित न रह कर, गर्दन, कमर, टखने, पीठ तक जा पहुंचा है। मास्टा के अनुसार, दिल्ली में महिलाएँ स्तनों पर भी टैटू कराने से परहेज़ नहीं करती हैं। वे कहते हैं, “मैं जब दिल्ली में काम कर रहा था, तो मेरे पास काफी महिलाएं आयी हैं जिन्होंने अपने स्तनों या पीठ के निचले हिस्से पर भी गोदन करवाया है । परन्तु, शिमला में अभी तक कोई नहीं आया है, जिसने ऐसी मांग रखी हो।”
राकेश के अनुसार, हिमाचली पुरुष ज़्यादातर अपने कंधे परगोदन करवाते हैं। उनके अनुसार, अन्य कलाकृतियों के इलावा, माओरी बैंड्स हिमाचली युवकों में काफी प्रचलित हैं।
तो आपको कौनसा टैटू ज़्यादा पसंद है? आपकी इस बढ़ते प्रचलन के बारे में क्या प्रतिक्रिया है, अपने विचार कमैंट्स द्वारा हमसे सांझा करें। क्या आपने भी गोदन करवाया है? कौन सा और क्यों? या आप गोदन करवाने की इच्छा रखते हैं और क्यों, हमें बताइये।
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