ग्लोबल वार्मिंग का असर शिमला के नेचुरल आइस स्केटिंग रिंक पर दिखने लगा है। पहले जहाँ चार महीने का सीजन रहता था, वह अब घट कर केवल दो महीने तक का रह गया है। शिमला आइस स्केटिंग के कार्यकारी अधिकारी रजत मल्होत्रा ने हिमवाणी को बताया कि इससे पिछले पाँच वर्षो में स्केटिंग रिंक की सदस्यता में लगभग 40 फीसदी की कमी आई है।
इस समस्या से निजात पाने के लिए, मल्होत्रा ने बताया कि इस रिंक को अब सेमी-अर्टिफिशियल में परिवर्तित किया जाएगा। इससे स्केटिंग का सीजन 2 महीने से बढ़कर 6 महीने तक का हो जाएगा। उन्होंने बताया, “पहले शिमला में आइस स्केटिंग नवम्बर महीने से शुरू होकर फरवरी महीने तक चलती थी, परन्तु इस वर्ष जनवरी में ही स्केटिंग की शुरुआत हो पाई है।”
स्मार्ट सिटी मिशन के अंतर्गत किया जायेगा नवीनीकरण
शिमला आइस स्केटिंग रिंक के नवीनीकरण के लिए स्मार्ट सिटी मिशन के अंतर्गत रूपये 50 करोड़ की धनराशि दी जाएगी। मल्होत्रा को उम्मीद है कि इसके नवीनीकरण से “न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, अपितु स्थानीय बच्चों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी बनाने में भी मदद मिलेगी।”
यहाँ नैशनल आइस स्केटिंग चैंपियनशिप का भी आयोजन किया जाता रहा है, परन्तु समय पर बर्फ न पड़ने के कारण और प्राकृतिक रूप से बर्फ न जम पाने के कारण, पिछले वर्ष इस प्रतियोगिता को अंतिम समय पर शिमला से हटा कर, हरियाणा में गुडगाँव के एक कृत्रिम रिंक में आयोजित किया गया। वर्ष 2018 में स्थिति बदतर मानी जा रही है और जनवरी में ही शिमला का उच्चतम तापमान 21-डिग्री सेल्सियस तक जाने लगा है।
कुफरी भी लुभा रहा हैं आइस-स्केटिंग प्रेमियों को
दूसरी तरफ, शिमला से 16 किलोमीटर की दूरी पर, प्रसिद्ध पर्यटक स्थल कुफरी में भी कृत्रिम आइस स्केटिंग रिंक का निर्माण किया गया है, जो पर्यटकों को खूब लुभा रहा है। हो सकता है इस कारणवश भी शिमला आइस स्केटिंग क्लब अब कम भीड़ देखने लगा है। हालांकि रजत मल्होत्रा इस बात से इंकार करते हैं। उनके अनुसार यह समस्या वैश्विक जलवायु परिवर्तन की देन है।
“शिमला आइस स्केटिंग रिंक की अपनी महत्त्वता है।ये रिंक न केवल सैलानीयों तक सीमित है, बल्कि स्थानीय निवासियों को भी आकर्षित करता है। दुर्भाग्य से पिछले चार-पाँच वर्षो से लगातार मौसम में बदलाव आया है, जिसके कारण शिमला के इस आइस स्केटिंग रिंक की सदस्यता में गिरावट आयी है।”
वर्तमान में इस आइस स्केटिंग रिंक के सदस्यों कि संख्या लगभग 250 है। यहाँ हर रविवार को बच्चों के लिए कार्यक्रम रखे जाते हैं जिसमें आइस रेस, आइस म्यूजिकल चेयर शामिल हैं। सप्ताह के बाकी 6 दिन बच्चे इस रिंक में रविवार को होने वाली प्रतियोगिता के लिए तैयारी करते हैं।
क्या है शिमला आइस स्केटिंग क्लब का इतिहास
शिमला के इस आइस स्केटिंग रिंक का इतिहास बहुत पुराना है। इसकी शुरुआत 1920 में शिमला के तत्कालीन आर्मी ऑफिसर ब्लेंसिंगटन द्वारा टेनिस कोर्ट मे पानी जमा होने पर की थी। वे हर वर्ष सर्दियों में टेनिस कोर्ट को आइस स्केटिंग रिंक मे परिवर्तित कर देते थे। उस समय केवल अंग्रेज़ों को ही क्लब कि सदस्यता कि अनुमति थी। परन्तु आज कोई भी इसका सदस्य बन सकता है।
शिमला के इस आइस स्केटिंग रिंक से 1960 से 70 के दशक में भारतीय मुख्य न्यायाधीश मुहम्मद हिदायतुल्लाह के साथ-साथ इंदिरा गाँधी और राजीव गाँधी का नाम भी जुड़े हुए हैं। फ़िल्म स्टार राज कपूर, मनोज कुमार, संजीव कुमार के साथ-साथ कई खेल हस्तियां जैसे मिल्खा सिंह, एवरेस्ट हीरो तेन्जिंग नॉरगे भी यहाँ पर आइस-स्केटिंग में अपना कौशल दिखा चुके हैं।
Atificial skating ring Ka use krne se hum is smsya ko undekha kar rhe he
Ye Sab bdte huye pollution Ka asr he jo dhire dhire asr Kr rha he
Humme chaiye ki shimla me sabhi gadio Ka pollution level check Kiya jaye
Environment ki protection Ke like hard rule Bnaye jaye..
Sujata ji. … aap ko ees veshay pr bhi sochna chiye…
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