हिमाचल में 2,590 बाल मजदूरः एनएचहडब्ल्यू की रिपोर्ट

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हेमंत शर्मा

शिमलाः हिमाचल प्रदेश में बालश्रम पर रोक लगाने के दावे खोखले साबित होते जा रहे हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण विभाग की ताजा सर्वेक्षण रिपोर्ट में उभरकर सामने आए हैं कि प्रदेश में लगभग 2,590 बच्चे बाल मजदूरी कर रहे हैं और प्रदेश में लगातार बाल मजदूरों की संख्या में इजाफा हो रहा है।

प्रदेश में बाल श्रम उन्मूलन अधिनियम की सरेआम धाियां उड़ाई जा रही है। यह तथ्य यादातर बाल मजदूर बाहरी रायों से प्रदेश में ढाबों, होटलों, औद्योगिक क्षेत्रों, हाइडल प्रोजेक्ट में काम कर रहे हैं। रिपोर्ट में सबसे यादा औद्योगिक क्षेत्रों में बाल मजदूर काम कर रहे हैं। प्रदेश में 1951 से लेकर 2001 की सर्वेक्षण रिपोर्ट में बाल मजदूरी की संख्या में इजाफा हुआ है, जहां 1951 में यह संख्या 1.1 प्रतिशत थी, वहीं 2001 में इसकी संख्या बढ़कर 5.9 प्रतिशत हो गई है। प्रदेश में अकेले ही औद्योगिक इकाइयों तथा माइनिंग इकाइयों में लगभग एक लाख से अधिक मजदूर कार्य कर रहे हैं, जिनमें से यादातर मजबूर बाहरी रायों से है।

इसके अलावा हाइडल प्रोजेक्टों में दो लाख से ऊपर मजदूर कार्य कर रहे हैं, जिसमें हिमाचली मजदूरों की भी काफी तादाद है। प्रदेश में 2590 बाल मजदूर है, जिनमें से 617 बच्चों की उम्र पांच से सात वर्ष की है और इनमें से दो प्रतिशत बच्चे ढाबों, होटलों तथा अन्य स्थानों में काम कर रहे हैं तथा अन्य बड़े ट्राइबल तथा औद्योगिक क्षेत्रों में कार्य कर रहे हैं।

इसके अलावा आठ से 11 वर्ष के बच्चों की संख्या 995 है, जिनमें 6 प्रतिशत बच्चे काम कर रहे हैं और 12 से 14 वर्ष तक के बच्चों की संख्या 9.78 है और इनमें से सात प्रतिशत बच्चे बाल मजदूरी कर रहे हैं। बाल मजदूर उन्मूलन अधिनियम के तहत 14 साल तक के बच्चे से किसी भी प्रकार की मजदूरी करवाना कानूनी जुर्म है और किशोर न्याय अधिनियम 2005 के तहत 18 साल तक के बच्चों को बलपूर्वक किसी भी प्रकार की मजदूरी नहीं करवाई जा सकती।

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