हेमंत शर्मा
शिमलाः बचो को देश का भविष्य कहा जाता है, शायद इसी लिया उहने स्कूल में हर प्रकार के काम के लिए योग्य बनाया जाता है – वेटर बन्ने के लिए भी |
संजौली राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला में शनिवार को पुलिस सामुदायिक योजना और पुलिस कल्ब, संजौली, के सौजन्य से नशा निवारण दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस आयोजन के दौरान स्कूल के छठी से बाहरवीं कक्षा तक के 200 से अधिक छात्र व छात्राओं द्वारा भाग लिया गया। स्कूल की प्रधानाचार्या राजेश्वरी भत्ता, पुलिस अधीक्षक आर.एम. शर्मा, डी.एस.पी. अशोक वर्मा, डी.एस.पी. टै्रफिक विनोद कुमार बतौर मुख्यअतिथि उपस्थित रहे। जहां इस कार्यकम का उद्देश्य बच्चों को नशे के प्रति जागरुक करना था वहीं जब उन्हें कार्यक्रम में काम करते देखा गया तो वहां बैठे कई लोग स्तब्ध रह गए।
उल्लेखनीय है कि स्कूली बच्चों का जिस तरह कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए प्रयोग किया गया उससे स्कूल प्रशासन और पुलिस प्रशासन दोनों की भावनाओं पर ही सवालिया निशान लगा दिया है। यदि पुलिस सामुदायिक योजना के सदस्य चाहते तो अच्छा कार्य करने वाले पुलिस और योजना के सदस्यों को किसी अलग स्थान पर भी कार्यक्रम का आयोजन कर सकते थे। और यदि स्कूल में बच्चों के बीच ही पुलिस अधिकारियों और सामुदायिक योजना अधिकारियों को सम्मानित किया जाना था तो इसके लिए क्लब व योजना अधिकारियों को चाहिए था कि वे उन्हें सम्मानित करने के लिए पूरी व्यवस्था को अपने जिम्मे लिते | किन्तु इन सभी विषयों को दर किनारे करते हुए जहां सामुदायिक योजना व पुलिस कल्ब सदस्य कार्यक्रम की गतिविधियों का लुत्फ उठा रहे थे वहीं स्कूली बच्चे उपस्थिति पुलिस अधिकारियों, सामुदायिक पुलिस योजना, पुलिस क्लब सदस्यों और उपस्थित अध्यापकों को बिस्कुट, चाए, जुस, खाने-पिलाने में ही व्यस्त दिखे। कार्यक्रम के दौरान ये बच्चे उपस्थित अतिथियों और अध्यापकों के लिए जूस के भरे कप ले जाते और जूठे कप लाते दिखे।
इस संदर्भ में स्कूल की प्रधानाचार्या राजेश्वरी भत्ता का कहना है कि कार्यक्रम का मुख्य विषय नशा निवारण दिवस का आयोजन था इसी लिए आई.जी.एम.सी. से चिक्तिसक राजेश भी आऐ थे और इस कार्यक्रम को पूरी तरह सामुदायिक पुलिस योजना और पुलिस क्लब के माध्यम से किया गया था।
यह समाचार पॠकर लगा कि सारे छातà¥à¤° ही खाने पिलाने में वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ थे. इस सà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥€ के शीरà¥à¤·à¤• से लगता है मानो बचà¥à¤šà¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ ही सारा काम कर रही थी और बाकि मौज उड़ा रहे थे. बाकी सà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥€ में "सà¥à¤•ूली बचà¥à¤šà¥‡" ही बतलाया गया है. अगर यह कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के बाहर होता और छातà¥à¤° वहां यह सब काम करते तो बहà¥à¤¤ गलत होता. विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में आये अतिथियों का आदर सतà¥à¤•ार à¤à¤• परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ है. इस में à¤à¤²à¤¾ कà¥à¤¯à¤¾ बà¥à¤°à¤¾à¤ˆ? हमने à¤à¥€ विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में आये अतिथà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को चाय नाशà¥à¤¤à¤¾ दिया है और बाद में जूठे कप गिलास उठाये हैं. कà¤à¥€ वेटर होने का à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ नहीं हà¥à¤†. कà¥à¤¯à¤¾ हम घर आये मेहमान को चाय पिलाने पर à¤à¥€ वेटर बन जाते हैं? अपना काम खà¥à¤¦ करना, अतिथि सतà¥à¤•ार, कà¥à¤¯à¤¾ सà¥à¤•ूली शिकà¥à¤·à¤¾ का अंग नहीं है. à¤à¤• छातà¥à¤° होने के नाते कà¥à¤¯à¤¾ हमारे अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•ों को यह सब काम करना शोà¤à¤¾ देता?
शायद जीवन के मूलà¥à¤¯ ही बदल गठहैं या फिर पतà¥à¤°à¤•ारिता के à¤à¥€!! बात का बतंगड़ बनाना à¤à¥€ इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ बदलते मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का à¤à¤• उदहारण है. लेखक शायद वेटर के काम को छोटा मान कर यह समाचार छाप गठहैं. अगर अपने आसपास जरा गौर से देखें तो पाà¤à¤‚गे कि समय बदल गया है और कोई काम अब छोटा नहीं रहा है.
हिमवाणी से ससà¥à¤¤à¥€ पतà¥à¤°à¤•ारिता कि आशा कà¤à¥€ नहीं रही. कृपया इससे बचें!
This is wrong becuse student are the piller of nation .if you loose the creativity of piller than where goes nation .if that work is completed by local (yubal mandal )youth club that right .
than what are work of local youth club.
india strtighty is wrong .
Comments are closed.