घूसखोर अधिकारियों का ड्रामा

5

हेमंत शर्मा

शिमलाः हिमाचल प्रदेश में भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फैंकने का सपना तब तक पूरा नहीं हो सकता जब तक कि राज्य के शिक्षण संस्थानों, सरकारी विभागों, चिकित्सकीय संस्थानों तथा नौकरशाही में भ्रष्ट अधिकारी मौजूद हो। पिछले डेढ़ वर्ष पर नज़र दौड़ाई जाए तो सतकर्ता एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो इन भ्रष्ट अधिकारियों पर नकेल कसने में कामयाब भी हुआ है। दिलचस्प तो यह है कि जब भी कोई अधिकारी किसी अवैध कार्य को अंजाम देते वक्त पकड़ा जाता है तथा उस पर आरोप सिद्ध हो जाने पर जब पुलिस रिमांड की बारी आती है तो वह अस्पताल में तुरंत दाखिल हो जाता है। इसे अधिकारियों का ड्रामा ही कहा जा सकता है। बात चाहे पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के विशेष निजी सचिव रहे सुभाष आहलुवालिया की हो या फिर खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री सिंघीराम या फिर शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष बीआर राही की।

अस्पताल में जाने के ड्रामें को इन अधिकारियों ने उसी तरह अंजाम दिया है जिस तरह इन्होंनें गैर कानूनी कार्य को करने में हिम्मत जुटाई थी। डेढ़ वर्ष के अरसे के बाद अब हाल ही में लोक निर्माण विभाग में अधिशासी अभियंता को 25 हजार रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया। इसके बाद विजीलेंस अधिकारियों ने इस अधिकारी के घर में रेड कर वहां से 10.7 लाख की नगदी, 2.25 लाख के आभूषण व आठ लााख रुपए बैंक अकांउट में पाए गए जिसके बाद उसे पुलिस रिमांड पर भेजा गया। पुलिस रिमांड पर तीन-चार दिन तक रहने के बाद यह अधिकारी भी उन्हीं अधिकारियों के नक्शे कदम पल चला और इसने भी अस्पताल जाने का ड्रामा रच डाला। गौरतलब है कि मार्च 2008 में भी पूर्व खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री सिंघी राम को अपनी बेटी को फर्जी अंक तालिका दिलवाने के मामले में गिरफ्तार करने के बाद पुलिस रिमांड पर भेजा गया। इसके बाद सिंघी राम ने भी बीमार होने का नाटक कर अस्पताल जाना ही मुनासिब समझा।

यही कहानी प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष बीआर राही की भी है। राही को भी फर्जी अंक तालिका मामले में दस दिन के पुलिस रिमांड पर भेजा गया था  पुलिस रिमांड पर रहने के बाद वे भी अस्पताल में भर्ती रह लिए।

भारतीय प्रशासनिक अधिकारी सुभाष आहलुवालिया भी अस्पताल का ड्रामा रचने वालों में पीछे नहीं है। आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में सुभाष आहलुवालिया को गिरफ्तार किया गया था। 14 दिन की न्यायिक हिरासत में रहने के दौरान आहलुवालिया ने भी अस्पताल का ड्रामा रचा। हैरतअंगेज तो यह है कि ये सभी उक्त मामले मार्च-अप्रैल माह में घटित हुए। जब तक ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा ऐसे काले कारनामो को प्रदेश में अंजाम दिया जायेगा तब तक प्रदेश को भ्रष्टमुक्त बनाना केवल सपना बनकर ही रह जाएगा।

Previous articleMadan Lal ‘retired hurt’; Congress now finds reason in Narinder Thakur
Next articleTrouble for Virbhadra as Dhami joins BJP

No posts to display

5 COMMENTS

  1. यदि आप लोक निर्माण विभाग के इस अधिकारी की बात करें तो यह अधिकारी इस विभाग के विद्युत् विंग में कार्यरत था. विद्युत् विंग का बजट पूरे लोक निर्माण विभाग के बजट का १०% माना जाता है. यदि इस १०% बजट में यह अधिकारी चांदी कूट रहा था तो बाकि विभाग की तो पांचों उँगलियाँ घी में और सर कडाही में ही जान पड़ता है. प्रदेश की बदहाल सड़कें तो यही कहानी बयान करती हैं!!

  2. "Five corrupt officials caught within two months by vigilence department"

    *"Himachalies are known for their honesty"

    "Himachalies are known for hospitality"

    *"That why the cases of tourist harassment do happen frequently"

    "We are very accomodating"

    *"That is why we allot land to Priyanka and treat the outside students in a manner like Mr. Kachru"

    Please mind, statistics with a favour of less inhabitable area cannot overshadow the truth. People across India living in rural areas are innocent. Himachal is no exception.

    But in urban regions of Himachal, people may look innocents but they are not. They all may not be daring to take money but take pride in satisfying false ego/inferiority complexes by delays, on the criterion of "Jaan Pahchan" and obliging attitude.

  3. अब थिंड साहब ने भी अस्पताल की राह पकड़ ली है. यह सीने का दर्द भला हवालात जाने पर ही क्यों उठता है?

Comments are closed.