हेमंत शर्मा
शिमला: किसी भी समाज की नौकरशाही उस समाज की रीढ़ होती है यदि वह रीढ़ ही कमजोर हो तो एक स्वस्थ समाज की उम्मीद कतई नहीं की जा सकती। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के निदेशक व प्रधान सचिव पर आरोप लगाया गया है कि इन्होंने टुटू में मूक बधिरों के लिए चल रहा प्रेरणा नामक स्कूल को अवैध तरीके से मान्यता प्रदान की।
यह आरोप शुक्रवार को एक पत्रकार वार्ता में विकलांगता एवं पुनर्वास सोसायटी के अध्यक्ष अजय श्रीवास्तव ने लगाए हैं। श्रीवास्तव ने इन दोनों अधिकारियों के तुरंत तबादले व इन पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। श्रीवास्तव का मानना है कि प्रेरणा संस्था दो मुख्य अधिनियम- विकलांगजन रक्षा अधिनियम 1995 व भारतीय पुनर्वास परिषद अधिनियम-1992 की अवहेलना कर रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी सोसायटी भी सरकार व सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग से अक्षम लोगों के लिए एक विकलांगता नीति बनाने की मांग करती रही है। लेकिन विभाग में नौकरशाहरों की लचर कार्यप्रणाली के चलते इसे अभी तक सिरे नहीं चढ़ाया गया है। उन्होंने मांग की कि सरकार आदर्श चुनाव आचार संहिता के हट जाने के बाद 15 दिनों के भीतर विकलांगजनों के लिए विकलांगता नीति तैयार करें ताकि इन लोगों के भविष्य से इस तरह की घिनौनी हरकत न हो सके। उन्होंने कहा कि प्रदेश में घटित हुए इस कुकृत्य की पूरे देश ही नहीं अपितु पूरे विश्व में निंदा की जा रही है।
सोसायटी के अध्यक्ष ने एसपी शिमला आरएम शर्मा व शिखा सूद, जिन्होंने इस मामले के खुलासे में अहम भूमिका निभाई, की भी सराहना की तथा कहा कि सोसायटी द्वारा कार्यक्रम आयोजित करके इन्हें इनके अदम्य साहस व कार्यनिष्ठा के लिए सम्मानित किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि इस संस्थान में 6 छात्राओं के साथ प्रधानाचार्य सहित तीन अध्यापकों द्वारा बलात्कार का आरोप था, जिनमें से दो लड़कियों के साथ मेडिकल रिपोर्ट में बलात्कार की पुष्टि हुई है।
इस सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ने भी शुक्रवार को शिमला में एक पत्रकार वार्ता की जिसमें उन्होंने कहा कि प्रदेश मे विकलांग लोगों के लिए जल्द ही एक नीति तैयार की जा रही है जो की अंतिम चरण में हैं। उन्होंने कहा की इस मामले में दोषी पाए गए लोगोँ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी।