विकलांगता पर जनघोषणा पत्र-2007
सोसाइटी फॉर डिसेबिलिटी एंड रिहैबिलिटेशन स्टडीज (एसडीआरएस), हिमाचल प्रदेश चैपटर ने विश्व विकलांगता दिवस – 2007 के अवसर पर हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनावों के मद्देनजर ‘विकलांगता पर जनघोषणा पत्र (पीपुल्स मेनीफैस्टो फौर द डिसेबेल्ड) जारी किया है।
राज्य में विकलांगों के अधिकारों से जुड़े मुद्दे राजनैतिक और सामाजिक एजेंडा में शामिल कराने के लिए उत्तर भारत में अपनी तरह का यह पहला प्रयास है। एसडीआरएस के अध्यक्ष अजय श्रीवास्तव ने जनघोषणा पत्र जारी करते हुए कहा कि सभी राजनैतिक दलों को विकलांगों से जुड़े मुद्दे अपने चुनाव घोषणा पत्र में शामिल करने चाहिए। यह ऐसा वर्ग है जिसे समाज में अभी तक हाशिए पर रखा जाता रहा है। राज्य के दो लाख से ज्यादा विकलांगों की उपेक्षा करके यह राज्य विकास नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि शिमला में 19 नवंबर को एसडीआरएस द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और मार्कसवादी पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने सार्वजनिक घोषणा की थी कि वे विकलांगों के मुद्दे अपने चुनाव घोषणा पत्र में शामिल करेंगे।
विकलांगता पर जनघोषणा पत्र के बिंदुः
1. हिमाचल प्रदेश में राज्य विकलांगता नीति (स्टेट पॉलिसी ऑन डिसेबेलिटी) तैयार की जाए।
पी डबल्यू डी एक्ट और राष्ट्रीय विकलांगता नीति में स्पष्ट कहा गया है कि सभी राज्य अपनी अलग विकलांगता नीति तैयार करेंगे। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग हिमाचल प्रदेश के मुख्य मंत्री को दो पत्र लिखकर राज्य विकलांगता नीति तुरंत तैयार करने का आग्रह कर चुका है। उसने इस बारे में सरकार की सुस्ती पर चिंता जताई है।
2. समस्त विकलांगता कानून जिनमें विकलांग जन अधिनियम-1995 (पी डबल्यू डी एक्ट), भारतीय पुनर्वास अधिनियम-1992 (आरसीआई एक्ट), राष्ट्रीय न्यास अधिनियम-1999 (नेशनल ट्रस्ट एक्ट), मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम-1987 (मेंटल हैल्थ एक्ट) शामिल हैं, को राज्य में ईमानदारी से लागू किया जाए।
3. दृष्टिहीन, मूक-बधिर और मानसिक विकलांग बच्चों के लिए सभी आधुनिक सुविधाओं से युक्त आवासीय स्कूल खोले जाएं। राज्य में अभी ऐसा एक भी स्कूल नहीं है।
4. सभी विकलांग बच्चों को, वे जहां तक पढ़ना चाहेंगे, सरकार शिक्षा, वर्दी, पुस्तकें व
अन्य आवश्यक सामग्री निःशुल्क उपलब्ध कराए।
5. विकलांग सरकारी नौकरियों पर निर्भर न रहें, इसलिए सभी आधुनिक सुविधाओं वाला
वोकेशनल ट्रेनिंग सेंटर खोला जाए।
6. विकलांग जनअधिनियम-1995 के तहत सभी सार्वजनिक स्थलों- बैंक, डाकघर, सरकारी
दर और अस्पताल एवं स्कूल आदि को बाधारहित (बैरियर फ्री) बनाया जाए। नए
बनने वाले सार्वजनिक भवनों के नक्शे तभी पास हों जब उनमें बाधा रहित वातावरण के
प्रावधान शामिल हों।
7. नौकरियों में विकलांगों के लिए आरक्षण का कोटा ३ प्रतिशत से अधिक किया जाए।
मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में विकलांगों के लिए ३
प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण का प्रावधान है।
8 . सभी गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों योजनाओं का कम से कम ३ प्रतिशत बजट विकलांगों के लिए आवंटित किया जाए।
9. राज्य में 40 प्रतिशत या उससे अधिक विकलांगता वाले व्यक्तियों को एच.आर.टी.सी. की बसों में प्रदेश के भीतर व बाहर भी मुफ्त सफर की सुविधा दी जाए। इसमें 75 प्रतिशत से ज्यादा दृष्टिहीनता वाले व्यक्तियों के एक सहायक को भी निःशुल्क सफर की सुविधा और 75 प्रतिशत से ज्यादा शारीरिक विकलांगता वालों को भी यही सुविधा दी जाए।
10. शिक्षिति विकलांगों को पंजाब की तर्ज पर बेरोजगारी भत्ता दिया जाए।
11.विकलांगों के लिए आरक्षित पदों का बैकलॉग भरने में उन्हें प्राथमिकता के आधार पर
नौकरी दी जाए जो पहले से उसी विभाग में अस्थाई/ एड-हॉक या अनुबंध पर काम कर
रहे हैं।
12. विकलांगों को शिक्षा व रोजगार के लिए मिलने वाले ऋण की ब्याज दर कम करने और शर्तें आसान बनाने की कोशिश की जाए।
(अजय श्रीवास्तव)
अध्यक्ष एस.डी.आर.एस., हि.प्र.
मोबाइल नं. 9419488595
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