ई-गवनेर्ंस में हिमाचल प्रदेश को आई.एस.ओ. ९००१ः२००० प्राप्त

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    गुणात्मक सार्वजनिक सेवाओं को सफलतापूर्वक कार्यान्वित करने में हिमाचल प्रदेश ने एक और उपलब्धि हासिल की है। हिमाचल उत्तर भारत का ऐसा पहला राज्य बना है, जिसे वाहनों के ड्राईविंग/ परिचालक लाइसेंस तथा पंजीकरण प्रमाण पत्र जारी करने में ई-गवर्नेंस सेवाएं उपलब्ध करवाने पर आई.एस.ओ.: ९००१ः२००० प्राप्त हुआ है।

    प्रदेश सरकार ने प्रशासनिक बदलाव की पद्धति के माध्यम से प्रशासन में गुणवत्ता लाने का निर्णय लिया है। इस नीति के अनुरूप मण्डी तथा हमीरपुर जि+लों में आई.एस.ओ. ९०००ः२००० प्रमाण पत्र प्राप्त कर ई-गवर्नेंस सेंटर्स क्वालिटि सर्टिफिकेट जारी करने की पहल की गई है। इस प्रकार हमीरपुर जिले के सभी तीन उप-मण्डलों (बड़सर, नादौन तथा हमीरपुर) तथा मण्डी जिले के सुन्दरनगर में सम्बन्धित ई-गवर्नेंस केन्द्रों में सार्वजनिक सेवा वितरण प्रणाली का सफलतापूर्वक जीर्णोंद्वार सुनिश्चित बनाया गया है। हमीरपुर जिले के सभी उप मण्डलों में संगठन का नवीकरण किया है तथा इन केन्द्रों में दक्षता लाने के लिए विशेषाधिकार एवं नौकरशाही की लाल फीताशाही में कटौती की गई है।

    डैट नौरसक वरीताज+ (डी.एन.वी.) के परामर्श से ई-गवर्नेंस केन्द्रों के नवीकरण की प्रक्रिया सुनिश्चित की गई है। इसके तहत, केन्द्रीय वाहन अधिनियम एवं नियमों (संशोधन एवं सरकारी निर्देशों के साथ) का प्रशिक्षण प्रदान किया गया है ताकि इसके प्रावधानों को एक रूप में समझने तथा कार्यान्वयन सुनिश्चत बनाया जा सके। अतिरिक्त जि+ला दण्डाधिकारी को प्रबन्धन प्रतिनिधि नियुक्त किया गया है ताकि समन्वय स्थापित किया जा सके तथा निर्णयों का कार्यान्वयन सुनिश्चत बनाया जा सके। टैक्सी यूनियन तथा प्रबुद्ध नागरिकों को शामिल कर लोगों के परामर्श से, जागरूकता लाने के लिए नागरिक अधिकार पत्र तैयार किया गया है। निरीक्षण शीट् को शामिल कर इसमें शाखा स्तर पर तथा आर.एल.ए. स्तर पर अलग से प्रक्रिया में विलम्ब को इंगित किया गया है, जो जवाबदेही व जिम्मेवारी को सुनिश्चत बनाता है।

    वस्तु सूचि का न्यूनतम रख-रखाव निर्धारित किया गया है तथा व्यवस्था को सुचारू बनाया गया है ताकि वस्तु सूची का आलोचनात्मक अध्ययन सुनिश्चित बनाया जा सके। विभिन्न कार्यों के लिए भरे जाने वाले प्रपत्रों का निर्धारण कर लिया गया है तथा नागरिकों को इस सम्बन्ध में उचित मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए एक विस्तृत मार्गदर्शिका तैयार की गई है, जिसमें आवेदन करने के लिए तय सभी शर्तों का विवरण है। अभिलेखों के संरक्षण के लिए वैज्ञानिक पद्धति अपनाई गई है तथा सही सूचना प्राप्त करने के लिए पंजिका लगाई गई है। इन योजनाबद्ध कार्यों के कारण पहले लिये कार्य को करने में ५ से ६ घंटे लगते थे वही कार्य अब केवल ५ मिनट में पूरा होना संभव हो गया है। गुणात्मक सार्वजनिक सेवा प्रदान करने के लिए ई-गवनेंस केन्द्रों को संचालित करने के लिए गुणात्मक नीति को तैयार किया गया है।

    अब वाहनों के ड्राईविंग/ परिचालक लाईसेंस तथा पंजीकरण प्रमाण पत्र लोगों को स्वतः ही पूर्ण आवेदन पत्र जमा करवाने के पश्चात तीन दिन के भीतर जारी किए जा रहे हैं तथा इन्हें पहले आओ पहले पाओं के आधार पर जारी किया जा रहा है। इससे न केवल सेवा प्रदान करने के लिए विकसित प्रणाली में और अधिक दक्षता आई है बल्कि और अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित हुई है। प्रक्रिया के सरलीकरण से लोग शिक्षित तथा जागरूक हो रहे हैं। इस प्रक्रिया से बिचौलिए की भूमिका भी खत्म हुई है। क्योंकि लोगों को पहले आओ पहले पाओ के आधार पर यह सेवाएं स्वतः ही प्रदान की जाएंगी। ई-गवर्नेस केन्द्रों के कार्यान्वयन का नियमित तौर पर निरीक्षण किया जा रहा है। इससे प्रशासन में और अधिक दक्षता सुनिश्चित हुई है तथा स्थानीय लोगों से सकारात्मक प्रतिक्रिया भी प्राप्त हुई है।

    इस परियोजना को अब प्रशासनिक संसाधन के लिए राज्य की नीति के तौर पर अपनाया गया है। प्रदेश सरकार अब अन्य क्षेत्रों में भी लोगों की सुविधा एवं हित के लिए इस सुविधा को अपना रही है तथा अन्य क्षेत्रों में भी परियोजना के विस्तार का अनुमान है।

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