साक्षात्कार: क्यों डरीं थी WHO के कैलेन्डर पर छाईं गीता वर्मा?

इसके इलावा, कैसा महसूस किया था गीता वर्मा ने जब उन्हें WHO ने पुरस्कृत किया ?

गीता वर्मा; Image Source: गीता वर्मा का फेसबुक अकाउंट

छोटे से गाँव की रहने वाली किसी महिला की तस्वीर अगर सोशल मीडिया पर वायरल हो जाए तो कैसा महसूस होता है? ऐसा ही कुछ मंडी जिला के सपनोट गाँव की रहने वाली गीता वर्मा ने महसूस किया, जब गत वर्ष उनकी तस्वीर — बाइक पर टीकाकरण के लिए जाती हुई — काफी वायरल हुई थी।

कैसे हुई गीता वर्मा की तस्वीर वायरल?

गीता वर्मा, जो कि एक महिला स्वास्थय कर्मचारी (फीमेल हेल्थ वर्कर) हैं, ने अपनी ये तस्वीर अपने विभाग के व्हाट्सएप्प ग्रुप में डाली थी। गीता वर्मा ने हिमवाणी से वार्तालाप में कहा, “मेरी तस्वीर कब वायरल हुई, मुझे और मेरे पति को पता भी न चला।”

गीता वर्मा WHO के कैलेंडर पर

गीता वर्मा WHO के कैलेंडर पर

आज 29-वर्षीय गीता को विश्वभर से बधाइयां मिल रही हैं। उनकी एक और तस्वीर को WHO (विश्व स्वास्थय संगठन) ने अपने 2018 के कैलेन्डर पर स्थान दिया है। इतना ही नहीं, WHO ने उन्हें, उनके खसरा और रूबेला (मीसल्स-रूबेला) टीकाकरण अभियान में विशेष योगदान देने के लिए प्रशस्ति पत्र व मोमेंटो देकर भी सम्मानित किया। हिमाचल प्रदेश के मुख्य मंत्री, जय राम ठाकुर ने भी उनको इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है।

कैसा महसूस किया तस्वीर वायरल होने पर

जहाँ आज गीता वर्मा प्रसन्न हैं, ऐसा तब न था, जब उनकी तस्वीर वायरल हुई थे।वो कहती हैं:

“आपको पता है कि गाँव का माहौल कैसा होता है। जब मुझे बताया गया कि मेरी तस्वीर सोशल मीडिया पे वायरल हो गई है तो मैं घबरा गई। तब मुझे मेरे पति ने समझाया कि ‘आपने कोई गलत काम नहीं किया है, और आपको आपके अच्छे काम के लिए दुनिया भर में सराहा जा रहा है’।”

गीता वर्मा के पति के सी वर्मा हिमाचल पुलिस में शिमला में कार्यरत हैं।

क्या हैं उनकी उपलब्धियां?

यह पहला मौका है जब मंडी की किसी फीमेल हेल्थ वर्कर को WHO के कैलेंडर में जगह मिली है। गीता वर्मा की करसोग सीएचसी के सब-सेंटर शंकर देहरा में तैनाती है।उन्होंने घूमंतु गुर्जरों के 48 बच्चों का टीकाकरण किया था। उनके साथ इस अभियान में गीता भाटिया व प्रेमलता भाटिया ने भी सहयोग दिया और दुर्गम क्षेत्रों में टीकाकरण सफल बनाया। वह जंजैहली में शिकारी देवी आदि दुर्गम क्षेत्र में पहुंची।

ऍमआर (मीज़ल्स-रूबेला) टीकाकरण अभियान के दौरान गीता वर्मा और उनके सह-कर्मी 8-10 किलोमीटर दूर बाइक पर घूम कर पहाड़ी व दुर्गम क्षेत्रों में जाते थे, जहाँ इन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। “इन क्षेत्रों में चार-पहिया वाहन का पहुंचना संभव नही होता था। इसलिए हम अपने दो-पहिया वाहन से ही वहां चली जाती थीं। परन्तु बरसात होने की वजह से सड़कें कच्ची थीं और हमें काफी दिक्कतें झेलनी पड़ती थीं। इस कारण हम जंगलों में कई किलोमीटर तक कई बार पैदल ही सफ़र तय करती थीं,” उन्होंने बताया।

ऍमआर (मीज़ल्स-रूबेला) टीकाकरण अभियान के दौरान गीता वर्मा और उनके सह-कर्मी 8-10 किलोमीटर दूर बाइक पर घूम कर पहाड़ी व दुर्गम क्षेत्रों में जाते थे

ऍमआर (मीज़ल्स-रूबेला) टीकाकरण अभियान के दौरान गीता वर्मा और उनके सह-कर्मी 8-10 किलोमीटर दूर बाइक पर घूम कर पहाड़ी व दुर्गम क्षेत्रों में जाते थे; चित्र सौजन्य: गीता वर्मा का फेसबुक अकाउंट

ऍमआर का टीका काफी महंगा होता है और टीकाकरण को लेकर काफी लोगों में भ्रांतियाँ भी होती हैं। क्या गीता वर्मा व् उनके सह-कर्मियों ने इस प्रकार की चुनौतियों का सामना किया? वो कहती हैं:

“वैसे तो हमारे गाँव के लोग टीकाकरण के प्रति काफी जागरूक हैं। परन्तु पहाड़ी क्षेत्र के कुछ घुमन्तु लोगों को इसके बारे में कम जानकारी है। हमें ये लोग बाजार में या जहाँ भी मिलते थे, हम उनको टीकाकरण के प्रति जागरूक कराते थे; और उनका कांटेक्ट नंबर भी ले लेते थे, ताकि कोई बच्चा छूट न जाए।”

गीता वर्मा ने हिमवाणी को बताया कि उन्होंने अपनी बाहरवीं कक्षा गवर्मेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल माहुनाग से उतीर्ण की है। साथ ही उन्होंने ने जालंधर से नर्सिंग मे डिप्लोमा भी किया है।

याद आ गया बचपन

WHO द्वारा पुरस्कार मिलने पर गीता वर्मा ने कहा, “पुरस्कार मिलते वक़्त मुझे अपने स्कूल का टाइम याद आ गया था जब मुझे कई बार पुरस्कृत किया गया।”

गीता वर्मा अपने पुत्र, कार्तिक एवं अपने पति, के सी वर्मा के साथ।

गीता वर्मा अपने पुत्र, कार्तिक एवं अपने पति, के सी वर्मा के साथ। (चित्र सौजन्य: गीता वर्मा का फेसबुक अकाउंट)

अपने काम के चलते, वे अपने घर से काफी दूर एक किराये के कमरे में अपने साढ़े चार वर्षीय बेटे कार्तिक वर्मा के साथ रहती हैं।

गीता वर्मा के अनुसार उनके इस काम से उनके पति व उनके सास-ससुर बहुत खुश हैं।

और पढ़ें: शिमला की शिवांगिनी सिंह करेंगी अंटार्कटिका अभियान में हिमाचल का प्रतिनिधित्व 

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मीनाक्षी शर्मा एक उभरती हुई लेखिका और पत्रकार हैं। वे अभी हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला, से पत्रकारिता एवं जन संपर्क विभाग से अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही हैं। वे अति संवेदनशील हैं और प्रकृति के समीप रहना चाहती हैं।

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19 COMMENTS

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