हिमवाणी
शिमलाः स्वयंसेवी संस्था उमंग फाउंडेशन द्वारा रविवार को शिमला में थैलेसीमिया जागरुकता कार्यशाला आयोजित की गई। इस मौके पर मुख्य वक्ता के रुप में बोलते हुए क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज लुधियाना के हेमेटोलॉजी एवं बोनमैरो ट्रांसप्लांट विभाग के अध्यक्ष डॉ. जोसेफ जॉन ने कहा कि विवाह से पूर्व यदि थैलेसीमिया टेस्ट करवा लिया जाए तो इस बीमारी को फैलने से रोका जा सकता है।
कार्यशाला में जानकारी दी गई कि दुनिया भर में हर वर्ष जन्म लेने वाले करीब एक लाख बच्चों को थैलेसीमिया होता है जबकि भारत में यह संख्या प्रतिवर्ष 12 हज़ार है। भारत में यह बीमारी सिकंदर के हमले के दौरान आई थी। उन्होंने कहा कि थैलेसीमिया मेजर बीमारी में बोन मैरो प्रत्यार्पण से स्थायी समाधान संभव है और इस पर करीब 10 से 15 लाख रुपये खर्च आता है। डॉ. जोसेफ जोन ने बताया कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान, पंजाब, सिंध, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, हरियाणा और पश्चिम बंगाल में थैलेसीमिया ज्यादा पाया जाता है। इस बीमारी से पीड़ित बच्चों की भारत में औसत आयु 25 वर्ष होती है और इसका मुख्य कारण समय पर रक्त और दवाएं उपलब्ध नहीं होना होता है।
उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष अजय श्रीवास्तव ने बताया कि कार्यशाला में शिमला के अलावा सुन्नी, तत्तापानी, करसोग, ठियोग, बिलासपुर और सिरमौर से आए थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों उनके अभिभावकों और शिमला के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।