हेमंत शर्मा
अब तक के 61 सालों का इतिहास हिमाचलवासियों के लिए गौरवान्वित कहा जा सकता है। भले ही अभी बहुत कुछ करनना बाकी है, प्रदेश ने सामाजिक, आर्थिक और अन्य क्षेत्रों में कई अहम मुकाम हासिल किए हैं। 12 जिलों, 75 तहसीलों और 52 उपमंडलों का यह छोटा सा राज्य आज तक 7.7 प्रतिशत की विकास दर को छू पाया है। हिमाचल में आज प्रति व्यक्ति आय 44,803 रुपये है, जो 1948 में मात्र 240 रुपये थी । आज यदि कोइ बड़ी चिंता है तो वह है राज्य पर बढ़ते कर्ज जो कि तकरीबन 23 हजार करोड़ रूपऐ हो गया है। यानी केंद्र सरकार अब राज्य का सहयोग न करे तो गंभीर आर्थिक संकट की स्थिति पैदा हो जाएगी।
कर्ज की खाई पाटने के लिए राज्य ने विद्युत दोहन को तरजीह देने, शून्य भ्रष्टाचार और फिजूलखर्ची पर नियंत्रण के रास्ते अपनाए हैं, किनतु इन सभी में लोगों की भागीदारी जरूरी है। अपनी पुस्तक ‘इंडिया डवेल्पमेंट एंड पार्टिसिपेशन’ में प्रसिध्द अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने भी लिखा है कि सामाजिक क्षेत्र को साथ लेकर हिमाचल ने जो राह दिखाई है, वह अन्य पहाड़ी राज्यों के लिए सबक है। हिमाचल अपने कुल योजना बजट का 48 फीसदी सामाजिक कल्याण क्षेत्र पर खर्च कर रहा है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली, सामाजिक सुरक्षा पेंशन, न्यूनतम वेतन आदि से1टर देश के शेष राज्यों से बेहतर हैं। हिमाचल ने महिला सशक्तिकरण के लिए पंचायतों में 50 फीसदी आरक्षण देकर विशेष पहल की है। इसके परिणाम अभी आने बाकी हैं।
परमार ने कहा था
25 जनवरी 1971 को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद राज्य के पहले मुख्यमंत्री डा. वाईएस परमार ने अपने संबोधन में कहा था, ”हम पहाड़ी लोग मेहनती हैं। एक दिन यही मेहनत हमें समृध्दि दिलाएगी।” डा. परमार के शब्द सही साबित हुए हैं। देश के सभी हिमालयी राज्यों में हिमाचल मजबूत बनकर उभरा है। हर क्षेत्र में राज्य ने तरक्की की है।
हिमाचल तब और अब
15 अप्रैल 1948 15 अप्रैल 2009
साक्षरता दर 7 प्रतिशत 86 प्रतिशत
प्रति व्यक्ति आय 240 रुपये 44,803 रुपये
शिक्षण संस्थान 331 17 हजार
सड़कें 6240 किमी 25 हजार किमी
विकास दर 7.7 प्रतिशत