परग्रामीण क्षेत्रों में लोकप्रिय हुए गैर-पारम्परिक ऊर्जा स्रोत

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शिमला जिले के गांव पवॉबो का निवासी राम सरण आज अपने आप को सबसे अधिक खुशकिस्मत समझता है, क्योंकि हर माह आने वाले उसके बिजली के बिल में करीब ७० फीसदी की कमी आई है और वह इस बात से बहुत प्रसन्न है। इसका श्रेय पूर्ण रूप से उसके नव निर्मित मकान में स्थापित सौर ग्राही प्रौद्योगिकी एवं बिजली प्रणाली को जाता है।  उसके मकान में सोलर वोल्टेक लाईटिंग सिस्टम तथा सोलर कुकर की सुविधा भी उपलब्ध है।  विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग तथा हिमाचल प्रदेश ऊर्जा विकास ऐजेंसी द्वारा मोटी दीवारों/  केविटी वाल, स्थानीय इंसुलेशन सामग्री, ऐयर लिकेज  तथा सीधी सौर ऊर्जा को सौर उपकरणों के माध्यम से नियंत्रित करने के लिए पारम्परिक व समयोपयोगी वास्तुशिल्प जैसे आधारभूत तकनीकी रूपरेखा उपलब्ध करवाई गई है।

प्रदेश सरकार के सार्थक प्रयासों के परिणामस्वरूप हिमाचल प्रदेश के शीतोष्ण कटिबन्द क्षेत्र में रहने वाले लोगों में सौर ग्राही प्रौद्योगिकी तथा एनर्जी कंज+रवेशन डिवाईस खासा लोकप्रिय हुआ है।  इन प्रयासों के परिणामस्वरूप ठंड से निज+ात पाने के लिए गर्म करने के पारम्परिक तरीकों को अपनाना अब बीती बात हो गई है तथा बिजली पर निर्भरता भी तेजी से कम हुई है।

सौर ग्राही प्रौद्योगिकी ( एसपीएचटी) पर्यावरण मित्र तथा  कम खर्चे पर उपलब्ध होने वाली तकनीक है, जिसमें घर की रूपरेखा इस तरह से तैयार की जाती है कि गर्मियों तथा सर्दी के मौसम में  मौसम की स्थिति तथा सूर्य की गति को ध्यान में रखते हुए सुविधाजनक जीवन उपयोगी परिस्थितियों का सृजन सुनिश्चित बनाया जा सके।

वर्ष १९९४ में इस दिशा में पहला पग उठाया गया, जब प्रदेश सरकार ने सोलर पैसिव हाउसिंग को सरकारी एवं अर्धसरकारी क्षेत्र में अनिवार्य बनाया।  हिमाचल प्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य बना, जिसने इस तकनीक को अपनाना अनिवार्य किया।  वर्ष २००० में प्रदेश सरकार ने इस तकनीक को सभी सरकारी भवनों, जिसमें निगम, बोर्ड तथा विश्वविद्यालय भी शामिल है, में कार्यान्व्ति करने का नीतिगत निर्णय लिया।    समुद्र तल से २००० मीटर से ऊपर निर्मित सभी नये भवनों के निर्माण में इस तकनीक को अपनाना अनिवार्य बनाया गया है।

प्रदेश में अभी तक २०० से अधिक सोलर पैसिव भवनों का निर्माण किया गया है। राज्य विज्ञान तकनीकी एवं पर्यावरण परिषद भवनों की रूपरेखा के लिए परामर्शीय सहयोग प्रदान कर रहा है।  इसके अतिरिक्त परिषद द्वारा प्रारूपकारों, वैज्ञानिकों अभियन्ताओं, योजनाकारों तथा राजमिस्त्रियों को प्रशिक्षण भी प्रदान कर रहा है।  परिषद में प्रारूपकार, वैज्ञानिक तथा सग्बन्धित स्टाफ समेत तकनीकी परियोजना प्रबन्धन प्रकोष्ठ स्थापित किया गया हैं। प्रकोष्ठ द्वारा व्यक्ति विशेष तथा सरकार संगठनों को परामर्श आधारित सेवायें भी उपलब्ध करवाई जा रही हैं।

भवनों की रूपरेखा में सोलर पैसिव हिटिंग तथा कूलिंग तकनीकी के इस्तेमाल से गर्माहट, ठंडा करने एवं रोशनी के लिए न केवल ईंधन तथा विद्युत की खपत कम करने में  सहायता मिलती है बल्कि धन की बचत में भी व्यापक सहायता मिलती है।

हिमाचल प्रदेश ऊर्जा विकास ऐजेंसी (हिम ऊर्जा) प्रदेश के लोगों को आसान दरों पर ऊर्जा के उचित अक्षय एवं गैर-पारम्परिक स्रोतों को उपलब्ध करवा रहा हैं ।  गत दो दशकों के दौरान अनेक अक्षय ऊर्जा तकनीकी का विकास सुनिश्चित बनाया गया है, जिसे प्रदेश के गांवों तथा शहरों में उपलब्ध करवाया गया है। प्रदेश में एकीकृत ग्रामीण ऊर्जा योजना कार्यक्रम को आरम्भ करने से अक्षय ऊर्जा कार्यक्रम जैसे सोलर थर्मल, सोलर फोटोवॉल्टिक इत्यादि आरम्भिक आवश्यकता के तौर पर अपनाया गया। सोलर थर्मल तथा फोटोवॉल्टिक तकनीकी के इस्तेमाल से न केवल पारम्परिक ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में सहयोग मिला, बल्कि ऊर्जा सुरक्षा तथा पर्यावरण मित्र ऊर्जा भी उपलब्ध हुई है।

प्रदेश में  लगभग ३०,४६० सोलर कूकर, ३४६२ सोलर हिटिंग सिस्टम स्थापित किए गये हैं।  इसके अतिरिक्त, १२६३ वॉटर मिल्ज+ तथा ४६५ हाईड्रम स्थापित किए गए हैं।  हिम ऊर्जा द्वारा स्थानीय लोगों की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ५ मैगावाट क्षमता के मिनी एवं माईक्रो हाईडल कार्यक्रम भी कार्यान्वित किए जा रहे हैं।   ३०० मिनी एवं माईक्रो परियोजाओं के निष्पादन के लिए समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किया गया है।  २३.२५ मैगावाट की क्षमता की १० परियोजनाओं का निष्पादन सुनिश्चित बनाया गया है।  पोर्टेबल जनरेटरों के माध्यम से पांगी तथा डोडरा क्वार क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित बनाई जा रही है।

भवनों में सोलर फोटोवाल्टिक लाईट, सोलर वाटर हिटिंग सिस्टम, सोलर कूकर तथा सोलर पैसिव तकनीकी जैसी गैर परम्परागत ऊर्जा सा्रेतों के प्रयोग से ऊर्जा की व्यापक बचत सुनिश्चित हुई।  इससे बढ़ती हुई ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में भी सहायता मिलने के साथ-साथ ही ग्रीन हाउस गैसों के विपरित प्रभाव को कम करने में भी लाभदायक हुई है। स्वच्छ एवं ÷ग्रीन पॉवर’ प्रदेशवासियों के लिए स्थाई ऊर्जा स्रोत बनकर ऊभरी है।

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