छाया व आलेख: डी डी शर्मा
गत दो वर्षो के समूचे हिमाचल भ्रमण में मैंने कुछ ऐसे स्थानों का भी भ्रमण किया जो कि पर्यटन की दृष्टि से काफी महत्व रखते हैं लेकिन प्रचार एवं प्रसार के अभाव में पर्यटक मानचित्र में इन क्षेत्रों का कोई खास अहमियत नहीं हैं । जिला कुल्लू में रघुपुर किला तथा सरेउलसर झील ऐसे दो खूबसूरत पर्यटक स्थल है जो कि अपने प्राकृतिक सौन्दर्य से प्रदेश के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं ।
इन दोंनों स्थान का आनन्द पर्यटक पैदल यात्रा से ही कर सकते हैं। खनाग से सरेउलसर झील, जलोड़ी दर्रा तथा रघुपुर किले के लिए एक पैदल तथा रोमांचकारी यात्रा द्वारा पहुंचा जा सकता है। शिमला से १८३ किलोमीटर दूर समुद्रतल से १०२८१ फुट की ई३चांई पर स्थित जलोड़ी दर्रा वैसे तो ट्रिेकिंग के लिए एक खूबसूरत स्थान है लेकिन यदि इस स्थान के लिए खनाग से सरेउलसर झील होते हुए जलोड़ी दर्रा और उसके बाद रघुपुर किला तक जाए तो निश्चित तौर वनसम्पदा और नैसर्गिक सौन्दर्य के मनमोहक नजारे देखने को मिलते हैं।
खनाग से सरेउलसर झील तक पहुंचने के लिए एक घण्टे का पैदल रास्ता है जो कि एक घने जंगल से होकर गुज+रता है। बीच में कुछ दोगरी तथा गढ़सार गांव आता है जो अपनी पुरातन संस्कृति को अपने में पूरी तरह संजोए हुए है। यहां पर सभी मकान पुरानी शैली में मिट्टी तथा लकड़ी के बने हुए हैं।
सरेउलसर झील एक प्राकृतिक एवं पुरातन झील है जिसके उद्भव को महाभारत काल में पाण्डव के साथ जोड़ा जाता है। कहते हैं कि पाण्डव अपने अज्ञात वास के दौरान इस स्थान पर रूके थे और भोजन पकाने के लिए उन्हें पानी की आवश्यकता पड़ी परन्तु आस पास पानी का कोई स्रोत न होने की वजह से अर्जुन ने धरती पर तीर छोड़ा जिससे यहां पर पानी की धारा बहने लगी। जनश्रुति के मुताविक पानी की धारा के साथ ही वहां पर एक देवी भी प्रकट हुई जिसे पाण्डवों ने इस झील के किनारे स्थापित किया। कालान्तर में इस देवी का नाम बूढ़ी नागिन पड़ा। पानी का स्रोत धीरे धीरे झील में परिवर्तित होता गया और लोगों की आस्था से यह झील एक पवित्र तीर्थ स्थान में बदल गया। अब कुल्लू तथा मण्डी जिला के लोग यहां पर स्नान और इसकी पूजा करने आते हैं। इस जगह की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां पर लोग घी की धार चढ़ाते हैं। इस झील में पूरे वर्ष में कई क्विंटल घी चढ़ता है। मन्दिर से घी की धार के साथ झील की परिक्रमा की जाती है और बाद में सारा घी झील में डाल दिया जाता है जिससे झील में घी की मोटी परत जमी रहती है।
सरेउलसर से ५ किलो मीटर की दूरी पर जलोड़ी दर्रा है । अधिक ऊँचाई के कारण यह दर्रा साल में चार पांच महीने यातायात के लिए बंद रहता है लेकिन इसके बावजूद लोग पैदल चलकर भी इस रास्ते को पार कर लेते हैं। जलोड़ी दर्रा पर करीब १० से १५ फुट तक बर्फ पड़ती है, कई बार तो यहां पर ३० फुट तक बर्फ पड़ जाती है। सरेउलसर से जलोड़ी जोत तक पहुंचने में तकरीबन चार घण्टे का समय लगता है, लेकिन यह एक अपूर्व और रोमांचकारी अविस्मरणीयपैदल यात्रा होती है।
जलोड़ी जोत से २ किलोमीटर की दूरी पर रघुपुर का किला स्थित है । इस किले तक पहुंचने के एक घने जंगल से पैदल जाना पड़ता है, जिसमें एक किलोमीटर चढ़ाई चढ़नी पड़ती है। रघुपुर का किला अब पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है। इस जगह की ऊँचाई १३५०० फुट के लगभग है।यह किला एक ऐसी जगह बनाया गया था जहां से मण्डी इन्नर और आउटर सिराज तथा शिमला का बहुत ज्यादा क्षेत्र देखने को मिलता है। अधिक ऊँचाई होने के कारण किले के आस पास पेड़ पौधे बिल्कुल नहीं हैं लेकिन काफी लम्बे लम्बे चारागाह हैं जहां पर गुज्जर अपनी भैंसें चराते रहते हैं। इन चारागाहों में पशुओं के लिए अति उत्तम किस्म की घास, सैकड़ों किस्म के पुष्प और जड़ी बुटियों के भण्डार मौजूद है। यदि हिमालय में हम स्वर्ग की कल्पना करें तो इस स्थान पर स्वर्ग की अनुभूति होती है। किले के बीचों बीच श्रृंगाऋषि का मन्दिर है जिसे वर्ष २००४ में बनाया गया था। गर्मियों में यहां का दृश्य अति मनमोहक एवं रमणीय होता है। प्राकृतिक सौन्दर्य हर तरफ अपनी अदभुत छटा बिखेर कर लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां पर कुल्लु तथा मण्डी जिला से लोग मन्दिर के दर्शन करने आते हैं।
सरेउलसर à¤à¥€à¤² और रघà¥à¤ªà¥à¤° किले की यातà¥à¤°à¤¾ करने के लिये अब मेरा मन à¤à¥€ मचल रहा है। कमाल की जानकारी इस लेख में है। रासà¥à¤¤à¥‡ में ठहरने और खाने पीने के लिये कà¥à¤¯à¤¾ इंतज़ाम हैं इसकी थोड़ी बहà¥à¤¤ जानकारी अगर लेख में होती तो मैं कल ही चल देता।
अजय शरà¥à¤®à¤¾, समाचार संपादक, à¤à¤¨ डी टी वी इंडिया
पà¥à¤°à¤¿à¤¯ अजय शरà¥à¤®à¤¾à¤œà¥€,
जलोरी पास पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ के लिठपहले दिन आप हि० पà¥à¤°à¥¦ वन विशà¥à¤°à¤¾à¤® गृह अथवा हि० पà¥à¤°à¥¦ लो० नि० वि० विशà¥à¤°à¤¾à¤® गृह शोजा अथवा à¤à¤¿à¤¬à¥€ बà¤à¤œà¤¾à¤°, जो कि जलोरी पास से १० कि० मी० दूर है, में रह सकते हैं। दूसरे दिन के लिठआप खाना अपने पास बà¤à¤§à¤µà¤¾à¤•à¥‡ ले जा सकते हैं।
wonderfully explained. do we want this also to become another biggest junk of himalayas ? when was this picture of lake was shot , if you can please tell me mr. sharma. lets explore the unexplored but we got to cave them for our generation to come
Picture of this lake was shot in the month of July 2006
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