चम्बा फर्स्ट: औरंगजेब को भी ललकार चिढ़ाया चम्बा के राजा छतर सिंह ने

चम्बा के महाराज की अपने धर्म के प्रति समर्पण और ज़िद्द ने चम्बा के भव्य मंदिरों को औरंगज़ेब की सनक से बचा दिया

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चम्बा का प्रसिद्ध लक्ष्मी नारायण मन्दिर; Picture used under Creative Commons License; Image Source: Varun Shiv Kapur

ब पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब के सामने कोई सर उठाने की कोशिश नहीं करता था, उस समय चम्बा के महाराजा छतर सिंह ने उसके आदेशों को मानने से सिर्फ इनकार ही नहीं किया अपितु उसकी धज्जियाँ उड़ाते हुए उसको चिढ़ाया भी। अपने इस अपमान से चिढ़े हुए औरंगज़ेब ने उन्हें दिल्ली आकर शाही सरकार के दरबार में पेश होने का आदेश दिया। लेकिन, महाराज ने उसकी भी अवज्ञा की। इतना सब कुछ होने के बाद भी औरंगज़ेब चम्बा पर चढ़ाई करने की हिम्मत नहीं जुटा सका।

बात 1669 की है जब कुरान के आधार पर शासन करने वाले औरंगज़ेब ने हिन्दू धर्म पर जमकर आघात करते हुए देश भर के सभी मंदिरों को तोड़ने का आदेश दिया। उस समय चम्बा पर राजपूत औरंगज़ेब के राजा छतर सिंह (1664 ईस्वी -1694 ईस्वी) का शासन था। लेकिन महाराज छतर सिंह ने औरंगज़ेब के आदेशों को मानने से सिर्फ इनकार ही नहीं किया अपितु उस समय चम्बा के सभी मंदिरों के शीर्ष बहुमूल्य धातुओं की छत्र भी चढवा दी, जिससे मंदिर और भी खूब सूरत लगने लगे।

एक छोटे से तालुके का राजा द्वारा उसके आदेश का उल्लंघन उसे बर्दाश्त नहीं हुआ। बावजूद इसके भी औरंगज़ेब कुछ भी नहीं कर सका। वह दक्षिण में मराठों के साथ युद्ध में ही मरते दम तक व्यस्त रहा। इस तरह से चम्बा के सभी मंदिर बच गये।

यहाँ यह बताना भी दीगर है कि औरंगज़ेब ने अपने लगभग पचास साल के शासन में हजारों प्रसिद्ध मंदिरों को ध्वस्त करवा कर वहां पर मस्जिदें बनवाई या अन्य निर्माण करवाए। मथुरा, काशी, विश्वनाथ जैसे प्रसिद्ध मंदिरों को भी उसने नहीं बख्शा था। लेकिन चम्बा के महाराज की अपने धर्म के प्रति समर्पण और ज़िद्द ने चम्बा के भव्य मंदिरों को औरंगज़ेब की सनक से बचा दिया।

जिस मंदिरों की दुर्दशा औरंगजेब भी नहीं कर पाया आज है बदहाल

चम्बा के निवासी जहाँ अपने राजा की इस दिलेरी के दीवाने हैं, वहीँ इस बात को लेकर नाराज़ भी रहते हैं कि जिस मंदिर को मुग़ल शासक औरंगज़ेब भी नहीं नष्ट कर पाया, उसे आज सरकार की उपेक्षा और चम्बा के लोगों की अनदेखी ने जर्जर बना दिया है।  अगर इतने गौरवशाली इतिहास के साथ चम्बा का परिचय देश दुनिया में किया जाये और चम्बा की धरोहरों को सुसज्जित किया जाये तो चम्बा एक दर्शनीय पर्यटन स्थल बन जाए।

चम्बा फर्स्ट अभियान से जुड़ें

भारत सरकार द्वारा चम्बा को पिछड़े जिलों की सूची में शामिल किये के जाने के बाद, से चम्बयालों द्वारा चम्बा रीडिस्कवर जैसे अभियान यहाँ की सिविल सोसाइटी द्वारा चलाये जा रहे हैं। उनके इस अभियान में हिमवाणी भी चम्बा फर्स्ट (#ChambaFirst) नामक अभियान चलाकर कन्धे से कन्धा मिलाकर चल रहा है।

यह लेख #ChambaFirst (चम्बा फर्स्ट) अभियान के तहत लिखा गया है। इस अभियान के तहत हम आप तक चम्बा के अलग अलग पहुलओं को लाते रहेंगे। हमारा प्रयास रहेगा की हम जनता के विचार एकत्रित कर, चम्बा को पिछड़ेपन के खिताब से मुक्त कराने हेतु, रीडिसकवर चम्बा के साथ मिल कर एक श्वेत पत्र लाएं जिसमें चम्बा के विकास के लिए विचार प्रस्तुत होंगे।

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वेद प्रकाश सिंह वर्तमान में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रहे हैं. पेशे से पत्रकार शौक़ से घुमक्कड़ी वेद पिछले 4 सालों से पत्रकारिता से जुड़े हैं और विभिन्न ख्यातिलब्ध पत्रकारिता संस्थानों के लिए लेखन कर रहे हैं।

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