गेयटी थियेटर कला दीर्घा में लेखकों के बैठने के लिए स्थान का अनुरोध

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द्वाराः एस आर हरनोट

प्रख्यात साहित्यकार श्री चंद्रधर शर्मा गुलेरी का यह १२५वां जंयती वर्ष है। उनका जन्म ७ जुलाई, १८८३ में हुआ था। उनको याद करते हुए आज शिमला में जाने-माने कवि-आलोचक श्री श्रीनिवास श्रीकांत की अध्यक्षता में एक बैठक का आयोजन किया गया जिसमें हिमालयन साहित्य, संस्कृति एवं पर्यावरण संरक्षण मंच के प्रभारियों एवं सदस्यों ने भाग लिया।

बैठक में प्रदेश सरकार से निवेदन किया गया कि गुलेरी जी के जयंती वर्ष पर उनके नाम से डाक टिकट जारी किया जाए और उनके नाम पर दिए जाने वाले चन्द्रधर शर्मा गुलेरी राज्य सम्मान की राशि १० हजार रूपए से बढ़ा कर एक लाख रूपए की जाए। लेखकों ने इस पर भी खेद व्यक्त किया कि बार-बार घोषणाएं तो की जाती रही हैं लेकिन पुरस्कार की राशि कभी बढ़ाई नहीं गई। कभी यह राशि २० हजार, कभी २५ हजार और गत वर्ष इसे बढ़ा कर ५१ हजार रूपए तो घोषित किया जाता रहा लेकिन ये घोषणाएं कभी भी लागू नहीं हुई। आज स्थिति यह है कि अकादमी पुरस्कार ३१ हजार का हो गया और राज्य सम्मान केवल १० हजार रूपए का है। इस तरह की घोषणाओं से न केवल इस सम्मान का बल्कि उस महान लेखक का भी अपमान होता है जिनके नाम पर यह सम्मान दिया जा रहा है।

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  1. गुलेरीजी द्वरा रचित कथा – उसने कहा था, मेरी पसन्दीदा कहानियो मे से एक है. गुलेरीजी ने जो अमृतसर की गलियो का व्याख्यान किया है वह अतुल्य है. "तेरी कुड़माई हो गई?" आज भेी याद है, जब की यह कथा शायद मैने बहुत वर्ष पहले पढ़ी थेी.

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