By: संजीव अवस्थी
राज्य स्तरीय मेला श्री रेणुका जी मेला इस वर्ष 8 नवम्बर से 13 नवम्बर तक धूमधाम से मनाया जा रहा है | प्रदेश के मुख्यमंत्री देवाभिनन्दन व पारम्परिक शौभायात्रा में भाग लेकर मेले का शुभारम्भ करेंगे | मेले के समापन अवसर पर राज्यपाल श्रीमती राव उपस्थित रहेंगी व पालकियों को विदा करेंगी |
श्री रेणुका जी मेला
जिला सिरमौर के मुख्यालय नाहन से 36 कि.मी. की दूरी पर, जलाल और गिरी दो नदीयों के समीप सुन्दर पर्यटक स्थल रेणुका जी स्थित है यहां प्रदेश की सबसे बडी प्राकृतिक झील, प्राचीन परशुराम मन्दिर व लायन सफारी भी है |
मान्यता है कि ऋषी यमद्ग्नी और मां रेणुका रेणुका झील से कुछ ही दूरी पर एक पर्वत पर तपस्या कर रहे थे | एक दिन मां रेणुका जी को अपनी बहन की याद आने लगी और वह बहन से मिलने के लिए जो कि सहत्रबाहू की पत्नी थी के घर गई वहां कुछ दिन रहने के बाद खुश होकर उन्होने अपनी बहन व सहत्रबाहू को यमदग्नी पर्वत आने का न्योता दिया |
रेणुका झील
सहत्रबाहू अपनी पत्नी के साथ मां रेणुका के घर आए तथा बहुत प्रसन्न हुए | उन्हे जब यह पता चला कि यमदग्नी ऋषी के पास कामधेनू गाय है और कामधेनू से सभी ईच्छाएं पूरी हो सकती है तो उन्होने उसे पाने की ईच्छा व्यक्त की | परन्तु ऋषी यमदग्नी ने गाय देने से मना कर दिया | रुष्ट सहत्रबाहू ने गाय को मारने का प्रयास किया किन्तु मार नही सके और कौध में ऋषी यमदग्नी को मार दिया | तभी मां रेणुका जी ने भी राम कुण्ड में छलांग लगा दी जिसमें मानवाकृति ले ली जिसे अब रेणुका झील के नाम से जाना जाता है |
उस समय भगवान परशुराम किसी अन्य पर्वत पर तपस्या कर रहे थे,उन्हे जब यह सब मालूम हुआ तो उन्होने लोट कर अपने पिता को अपनी शक्तियों से पुनर्जीवित कर दिया और मां रेणुका से भी झील से बाहर आने के लिए कहा मां ने बाहर आकर भगवान परशुराम को समझाया व झील में ही रहने को कहा|
कहते है कि भगवान परशुराम ने मां रेणुका जी को वचन दिया था कि वे वर्ष में एक बार देवप्रभोदिनी एकादशी के दिन मां से मिलने के लिए आते रहेंगे और इस दिन मां रेणुका भी झील से बाहर आएंगी|
मां ने प्रसन्न होकर यह भी कहा था कि जो भी व्यक्ति इस पावन अवसर पर रेणुका जी आएगे उनकी सभी इच्छाएं पूरी होंगी | एकादशी के दिन सैकडों लोग झील के किनारे जागरण करते है और प्रात्: स्नान के बाद मेले का आनन्द उठाते है कहा जाता है कि एकादशी के जागरण और प्रात: स्नान से मां और भगवान परशुराम का आशिर्वाद प्राप्त होता है और सभी मुरादें पूरी हो जाती है |
आज तक इस अवसर पर भगवान परशुराम की प्राचीन प्रतिमाएं प्राचीन मंदिर से व आस पास के अन्य देवी देवताओं की प्राचीन प्रतिमाएं चांदी की पालकीयों में हजारों लाखों लोगों की उपस्थिति में रेणुका जी लाई जाती है |कहा जाता है कि रेणुका मेला सैकडो वर्ष पूर्व से मनाया जाता है |